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हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) ने ई-नीलामी के नियमों में बदलाव किया है। एचएसवीपी का उद्देश्य है कि भविष्य में सभी अलग-अलग श्रेणियों की संपत्तियों की बिक्री के कार्य और ई-नीलामी के कार्यों में पारदर्शिता लाई जाए। ई-नीलामी के नियमों के अनुसार किसी संपत्ति या भूखंड को खरीदने के दाैरान नियम तोड़ा जाता है तो नीलामी दोबारा से होगी जो भी पुराने बोली लगाने वाले होंगे उनकी बयाना राशि (ईएमडी) वापस नहीं होगी। वहीं, जमा राशि प्राॅपर्टी सरेंडर करने वालों से लेकर भुगतान की तिथि भी तय कर दी हैं।
एचएसवीपी ने ई-नीलामी में किए बदलावों को
लेकर सभी जिलों के संपदा कार्यालयों और प्रशासक कार्यालयों को आदेश जारी किए हैं। नए नियमों के अनुसार जो भी पहले वर्ष संपत्तियों को खरीदने के बाद सरेंडर करेंगे तो उन्हें बोली के कुल 15 प्रतिशत शुल्क को वापस नहीं किया जाएगा। एक से दो वर्षों में सरेंडर की प्रक्रिया में शामिल होने वालों को यही राशि 25 प्रतिशत वापस नहीं होगी जबकि तीन वर्षों के लिए 35 प्रतिशत और इसके बाद संपत्तियों को सरेंडर कराने पर 50 प्रतिशत तक का शुल्क वापस नहीं होगा। एचएसवीपी के मुख्य प्रशासक चंद्रशेखर खरे की निगरानी में निर्देश तैयार किए गए हैं और अब इन्हीं नियमों के अनुसार नई ई-नीलामी होंगी।
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