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फरीदाबाद 10 अक्तूबर
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) जिला कमेटी फरीदाबाद ने प्रदेश के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की दर्दनाक मृत्यु पर गहरा क्षोभ प्रकट करते हुए परिजनों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की हैं। पार्टी ने इसे आत्महत्या की बजाय संस्थागत हत्या करार दिया है। जिसके लिए संस्थानों व समाज में निरंतर जारी जातिगत भेदभाव व उत्पीड़न जिम्मेदार है।
पार्टी के सचिव वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने आज यहां जारी बयान में मांग की है। कि आईपीएस अधिकारी पूरन कुमार की मृत्यु के हालात की त्वरित निष्पक्ष जांच करके सभी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए तथा उनके परिवार को समुचित सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए।
अधिकारी द्वारा लिखे गए अंतिम नोट में हालात और घटनाक्रम का जो विवरण सामने आया है। वह स्तब्ध करने वाला है। तथा जातिगत पूर्वाग्रह में निहित उत्पीड़न, अपमान और भेदभाव के एक पैटर्न की ओर इशारा करता है। यह बहुत ही खेदजनक है। कि जातिगत पूर्वाग्रह और उत्पीड़न को उजागर करने के लिए एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को अपनी जान की कीमत देनी पड़ी है। उन द्वारा सरकारी ढ़ांचे में मौजूद तत्कालीन गृहमंत्री समेत सभी स्तरों पर इस भेदभाव और उत्पीड़न के खिलाफ लिखित शिकायतें करने के बावजूद उन्हें कहीं से भी राहत नहीं मिली। गौरतलब है। कि अब गृह मंत्रालय स्वयं मुख्यमंत्री के पास है।
पार्टी ने कहा कि भेदभाव की यह कोई इकलौती घटना नहीं है। बल्कि यह हमारे समाज में बहुत गहरी पैठ बनाए हुए है। और भाजपा/ आरएसएस के सत्ता में आने के बाद इसे योजनाबद्ध तरीके से और मजबूत किया जा रहा है। हिन्दुत्व और सनातन के नाम पर दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों पर हमले किए जा रहे हैं। तथा उनके खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय उन्हें प्रशासनिक और राजनीतिक संरक्षण दिया जा रहा है। इस जातिगत दुराग्रह का ताजा उदाहरण सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंकने में देखने को मिला।
माकपा ने कहा कि जब वरिष्ठ अधिकारी और न्यायाधीश ही सुरक्षित नहीं हैं। तो साधारण जनता की हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है। पार्टी ने कहा कि वाई.पूरन कुमार के मामले में एफआईआर तो दर्ज कर ली गई है। परन्तु यह जरूरी है। कि समयबद्ध सीमा में निष्पक्ष जांच करके दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
पार्टी ने आश्चर्य प्रकट किया है। कि सरकार या मुख्यमंत्री ने अभी तक सार्वजनिक तौर पर ऐसा कुछ भी नहीं कहा है। और न ही जनता कै आश्वस्त किया है। कि वह ऐसे हालात को बदलने के लिए क्या ठोस कदम उठाएगी।
पार्टी ने जनता के सभी हिस्सों से आह्वान किया है कि वह सरकार की ऐसी उदासीनता के खिलाफ ज़ोरदार आवाज उठाएं ताकि सरकार जनता को आश्वस्त करने को मजबूर हो जाए कि वह संविधान के प्रावधानों के अनुसार सत्ता संचालन करेगी और सभी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करने के लिए काम करेगी।
माकपा ने सभी जनसंगठनों, सामाजिक संगठनों, प्रबुद्ध नागरिकों व अन्य हिस्सों से अपील की है कि हर प्रकार के भेदभाव और दुराग्रहों के विरोध में अपनी एकजुट आवाज बुलंद करें।
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