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जे.सी. बोस विश्वविद्यालय में 'विश्व आत्महत्या रोकथाम सप्ताह' के अवसर पर जागरूकता कार्यक्रम

Posted by : pramod goyal on : Friday, 12 September 2025 0 comments
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फरीदाबाद, 12 सितंबर, 2025: जे.सी. बोस विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद द्वारा विश्व आत्महत्या रोकथाम सप्ताह के उपलक्ष में जिला नागरिक अस्पताल फरीदाबाद के सहयोग से मानसिक स्वास्थ्य, आत्महत्या रोकथाम और मादक पदार्थों के दुरुपयोग पर केंद्रित एक जागरूकता और लक्षित हस्तक्षेप कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत विश्वविद्या



लय के चिकित्सा अधिकारी डॉ. अंकुर शर्मा के संबोधन से हुई, जिन्होंने कहा कि 15 से 29 आयु वर्ग में मृत्यु के प्रमुख कारणों में आत्महत्या भी एक कारण है, लेकिन जागरूकता, शीघ्र पहचान और समय पर सहायता के माध्यम से इसे पूरी तरह से रोका जा सकता है। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे अपने सहपाठियों में एकांतवास, व्यवहार में बदलाव, आत्म-देखभाल की कमी, या निराशा की भावनाओं जैसे चेतावनी संकेतों पर ध्यान दें और बिना किसी हिचकिचाहट के पेशेवर मार्गदर्शन लें। इस तरह के प्रयासों के महत्व पर बल देते हुए, डॉ. शर्मा ने कैंपस में परस्पर सहयोग की संस्कृति विकसित करने का आह्वान किया ताकि अनमोल जीवन को बचाया जा सके।
इसके बाद, क्लीनिकल मनोवैज्ञानिक प्रीति यादव ने मानसिक स्वास्थ्य, आत्महत्या और आत्महत्या रोकथाम पर जागरूकता सत्र आयोजित किया। उन्होंने उन मनोवैज्ञानिक कारकों पर चर्चा की जो जोखिम को बढ़ाते हैं जैसे अवसाद, अकेलापन, रिश्तों में असफलता, चिंता और भय और मुकाबला करने की रणनीतियों को मजबूत करने के तरीके साझा किए।
काउंसलर अनीता चौधरी ने एचआईवी/एड्स और मादक पदार्थों के दुरुपयोग पर बात की, जिसमें उन्होंने मादक पदार्थों पर निर्भरता, दबाव और असुरक्षित प्रथाओं से जुड़े जोखिमों पर प्रकाश डाला, साथ ही छात्रों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया।
मनोरोग नर्सिंग अधिकारी सुनमंत्र ने आत्महत्या जोखिम स्क्रीनिंग टूल का उपयोग करके छात्रों की स्क्रीनिंग की। इस अभ्यास का उद्देश्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की शीघ्र पहचान करना और आवश्यक हस्तक्षेप प्रदान करना था।
वक्ताओं ने सामूहिक रूप से उन मनोवैज्ञानिक कारणों जैसे अकेलापन, अवसाद, चिंता) और सामाजिक कारणों (पारिवारिक पृष्ठभूमि, आर्थिक तनाव, दबाव, मादक पदार्थों का दुरुपयोग, और शैक्षणिक व करियर चुनौतियों पर प्रकाश डाला जो आत्मघाती प्रवृत्तियों में योगदान देते हैं। उन्होंने चेतावनी संकेतों को भी साझा किया जैसे कि एकांत में रहना, नींद और खाने की आदतों में बदलाव, आत्म-देखभाल की उपेक्षा, हानिकारक वस्तुओं का संग्रह, और निराशा या आत्मघाती विचारों पर खुलकर चर्चा करना।
इस अवसर पर स्टूडेंट्स वालंटियर्स ने आत्महत्या रोकथाम, एचआईवी/एड्स, ओएसटी, और मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों पर नाट्य प्रस्तुतियां दीं। कार्यक्रम के समापन पर, प्रतिभागियों को उनके योगदान के लिए प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। 


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