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हरियाणा में कुल 31 वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली में से 30 निगरानी सिस्टम छह महीने से ठप

Posted by : pramod goyal on : Thursday, 25 September 2025 0 comments
pramod goyal
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 हरियाणा के 30 वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली पिछले छह महीने से ठप पड़े हैं। इन सिस्टम के बंद होने से राज्य में वायु प्रदूषण के आंकड़े दर्ज नहीं किए जा रहे हैं। इनमें कुछ ऐसे स्टेशन हैं, जो पिछले साल नवंबर में बंद हो गए थे। 

दरअसल इन प्रणालियों के रख-र

खाव वाली कंपनी का ठेका नवंबर 2024 व मार्च 2025 में समाप्त हो गया था। उसके बाद टेंडर लगाए गए, मगर सिर्फ एक ही बोलीदाता आया, जिसकी वजह से उसका आवेदन स्वीकार नहीं किया गया। अब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने फिर से टेंडर लगाए हैं। बोर्ड का दावा है कि अगले एक महीने के भीतर टेंडर अलॉट कर स्टेशनों को चालू कर दिया जाएगा। 
हरियाणा में कुल 31 वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली स्थापित हैं। इनमें से अभी सिर्फ गुरुग्राम का स्टेशन चल रहा है। बाकी स्टेशन ठप चल रहे हैं। इनमें से आधे स्टेशन नवंबर में बंद हो गए थे और आधे मार्च 2025 में ठप हो गए थे। मानसून की विदाई और पराली जलाने के मामले सामने आने के बाद इन निगरानी प्रणाली की महत्ता बढ़ जाती है। इस समय हवा में प्रदूषण की मात्रा बढ़ने लगती है। ऐसे में स्थानीय प्रशासन व लोगों को मालूम होना चाहिए कि उनके इलाके में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) कितना है, ताकि समय रहते एहतियातन कदम उठाए जा सकें। 

हालांकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इसे लेकर गंभीर नहीं दिखा। लगभग एक साल होने को है, मगर इन स्टेशनों के रखरखाव के लिए कोई दूसरी कंपनी तय नहीं की जा सकी। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मेंबर सेक्रेटरी प्रदीप कुमार ने बताया, स्टेशनों के लिए टेंडर लगा दिए गए हैं। एक महीने के भीतर टेंडर अलॉट कर स्टेशनों को चालू कर दिए जाएंगे।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक हरियाणा के लगभग 21 शहरों से वायु गुणवत्ता के आंकड़े दर्ज नहीं किए जा रहे हैं। इन शहरों में अंबाला, बहादुरगढ़, बल्लभगढ़, भिवानी, चरखीदादरी, धारूखेड़ा, फरीदाबाद, फतेहाबाद, हिसार, जींद, कैथल, करनाल, कुरुक्षेत्र, मानेसर, नारनौल, पलवल, पंचकूला, पानीपत, रोहतक, सिरसा, सोनीपत और यमुनानगर के स्टेशन बंद पड़े हैं।
वायु गुणवत्ता निगरानी सिस्टम के चालू नहीं होने से वायु गुणवत्ता के आंकड़े दर्ज नहीं किए जा रहे हैं। निगरानी के लिए आंकड़ों का होना जरूरी है। जब तक आंकड़े नहीं होंगे तब तक अधिकारी ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के तहत प्रतिबंधों को लागू नहीं कर सकते हैं। रिसर्च व निगरानी के लिए पुराने डाटा पर ही निर्भर होना पड़ेगा और अभी यह भी तय नहीं है कि दिवाली तक ये निगरानी सिस्टम चल पाएंगे या नहीं।

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