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फरीदाबाद। लोधी राजपूत जनकल्याण समिति (रजि) फरीदाबाद द्वारा अमर बलिदानी क्रांतिकारी गुलाब सिंह लोधी जी का 91वां बलिदान दिवस कार्यक्रम समिति रजि. कार्यालय डबुआ कालोनी एनआईटी फरीदाबाद में आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्य रूप से सुरेश पाठक, नन्दकिशोर लोधी, मनवीर भडाऩा.पूर्व पार्षद, लाखनसिंह लोधी, रूपसिंह लोधीए भोपाल कश्यपए पूर्व पार्षद अवधेश ओझा, धर्म पाल सिंह लोधी, शीशपाल शास्त्री ने दीप प्रज्ज्वलित किया, उपस्थितजनों ने बलिदानी के समक्ष पु
ष्प अर्पित कर नमन् किया।
समिति के संस्थापक महासचिव लाखनसिंह लोधी ने क्रांतिकारी गुलाब सिंह लोधी की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए बताया कि गुलाब सिंह लोधी का जन्म 3 मई 1903 में उन्नाव जिले के ग्राम चन्द्रिकाखेड़ा (फतेहपुर चौरासी) में श्री रामरतन सिंह लोधी, कृषक जमींदार परिवार में हुआ था। उस समय देश में ब्रिटिश साम्राज्य था। देश की आजादी के लिए क्रांतिकारी संघर्षरत थे, यातनाएं झेल रहे थे। क्रांतिकारियों ने 23 अगस्त 1935 के दिन पूरे देश में झण्डा सत्याग्रह आन्दोलन के अंतर्गत ब्रिटिश सरकार के सभी मुख्यालयों, कार्यालयों के समक्ष तिरंगा फहराने का आह्वान किया था। ब्रिटिश सरकार की सख्ती के कारण तिरंगा फहराने में सफल नहीं हो सके। 23 अगस्त 1935 को उन्नाव जिले से जत्थे के जत्थे लखनऊ के अमीनाबाद पार्क की ओर आ रहे थे परन्तु सत्याग्रही तिरंगा फहराने में सफल न हो सके। इन्हीं एक जत्थे में क्रांतिकारी गुलाब सिंह लोधी भी थे जिनके हाथ में बैल हांकने वाली लकड़ी (पैना) था और तिरंगे झण्डे को अपने कपडों में छुपा रखा था। किसी भी क्रांतिकारी को पार्क में जाने की अनुमति नहीं थी। क्रांतिकारी गुलाब सिंह लोधी ब्रिटिश सेना सिपाहियों की नजर बचाकर पार्क में खड़े पेड़ पर चढ़ गये। उन्होंने उस लकड़ी (पैना) में तिरंगे को लगाकर तिरंगा फहराते हुए उद्घोष करने लगे भारत माता की जय, महात्मा गांधी की जय, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झण्डा ऊंचा रहे हमाराए इस झण्डे का मान न जाये, चाहे जान भले ही जाये। बाहर खड़े क्रांतिकारी भी उद्घोष करने लगे। ब्रिटिश अधिकारियों ने देखा कि किसी क्रांतिकारी ने पेड़ पर तिरंगा फहरा दिया है, तुरन्त सिपाहियों को गोली चलाने का आदेश दिया। कई गोलियां क्रांतिकारी गुलाब सिंह लोधी को लगीं वे पेड़ से जमीन पर आ गिरे। 23 अगस्त 1935 को झण्डा सत्याग्रह आन्दोलन के अग्रदूत क्रांतिकारी गुलाब सिंह लोधी तिरंगा फहराते हुए देश की आज़ादी के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर बलिदान हो गए। लखनऊ का अमीनाबाद पार्क झण्डा पार्क के नाम से जाना जाने लगा। वह स्थान क्रांतिकारियों का सभास्थल बन गया। जिसे अब गुलाब सिंह लोधी पार्क के नाम से जाना जाता है।ष्प अर्पित कर नमन् किया।
इस अवसर पर होती लाल लोधी, ओमप्रकाश लोधी, मंजेश कुमार, प्रकाश चन्द, नानक चन्द, मुकेश त्यागी, दीपक यादव, किशनजीत आदि उपस्थित रहे।
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