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फरीदाबाद ,30 जुलाई।
अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ ने केंद्र सरकार की धोषणा के साढ़े छह महीने बीत जाने के बाद भी आठवें केन्द्रीय वेतन आयोग का गठन न करना
निंदनीय है और करोड़ों कर्मचारियों एवं पेंशनर्स के साथ धोखा है। महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने दो टूक कहा कि अगर 15 अगस्त तक केन्द्र सरकार ने वेतन आयोग के गठन की अधिसूचना जारी नहीं की तो केंद्रीय एवं राज्य सरकारी कर्मचारी और शिक्षक राष्ट्रव्यापी आंदोलन करने पर मजबूर होंगे। जिसके लिए पूरी तरह सरकार जिम्मेदार होगी। उन्होंने बताया कि ओपीएस बहाली, आठवें पे कमीशन का गठन, ठेका कर्मियों की रेगुलराइजेशन, सार्वजनिक क्षेत्र एवं जन सेवाओं के निजीकरण पर रोक, खाली पदों को मेरिट के आधार पर भर बेरोजगारों को रोजगार,एनईसी की वापसी, 18 महीने के बकाया डीए डीआर रिलीज करना, सरकारी स्पोर्ट से कैशलैस मेडिकल सुविधा आदि कर्मचारियों की प्रमुख मांगे हैं। उन्होंने कहा कि जब तक उक्त मांगों का समाधान नहीं होगा देश के करोड़ों कर्मचारी एवं शिक्षकों का आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ की राष्ट्रीय कार्यसमिति की महत्वपूर्ण मीटिंग 16-17 अगस्त को आयोजित की जाएगी। जिसमें धोषणा के साढ़े छह महीने बीत जाने के बावजूद वेतन आयोग की अधिसूचना जारी न करने और अन्य लंबित मांगों को लेकर केंद्र एवं राज्य सरकार के घोर निंदनीय रवैये के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन की योजना बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार के टालमटोल रवैए से बिल्कुल स्पष्ट है कि वेतन आयोग की सिफारिशों को देय तिथि पहली जनवरी,2026 से लागू करने के प्रति सरकार गंभीर नहीं है। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा सिफारिशों को स्वीकार कर केन्द्रीय कर्मचारियों पर लागू करने के बाद ही अधिकांश राज्य सरकार इन सिफारिशों को लागू करने के लिए कमेटियों का गठन करते हैं।
निंदनीय है और करोड़ों कर्मचारियों एवं पेंशनर्स के साथ धोखा है। महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने दो टूक कहा कि अगर 15 अगस्त तक केन्द्र सरकार ने वेतन आयोग के गठन की अधिसूचना जारी नहीं की तो केंद्रीय एवं राज्य सरकारी कर्मचारी और शिक्षक राष्ट्रव्यापी आंदोलन करने पर मजबूर होंगे। जिसके लिए पूरी तरह सरकार जिम्मेदार होगी। उन्होंने बताया कि ओपीएस बहाली, आठवें पे कमीशन का गठन, ठेका कर्मियों की रेगुलराइजेशन, सार्वजनिक क्षेत्र एवं जन सेवाओं के निजीकरण पर रोक, खाली पदों को मेरिट के आधार पर भर बेरोजगारों को रोजगार,एनईसी की वापसी, 18 महीने के बकाया डीए डीआर रिलीज करना, सरकारी स्पोर्ट से कैशलैस मेडिकल सुविधा आदि कर्मचारियों की प्रमुख मांगे हैं। उन्होंने कहा कि जब तक उक्त मांगों का समाधान नहीं होगा देश के करोड़ों कर्मचारी एवं शिक्षकों का आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ की राष्ट्रीय कार्यसमिति की महत्वपूर्ण मीटिंग 16-17 अगस्त को आयोजित की जाएगी। जिसमें धोषणा के साढ़े छह महीने बीत जाने के बावजूद वेतन आयोग की अधिसूचना जारी न करने और अन्य लंबित मांगों को लेकर केंद्र एवं राज्य सरकार के घोर निंदनीय रवैये के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन की योजना बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार के टालमटोल रवैए से बिल्कुल स्पष्ट है कि वेतन आयोग की सिफारिशों को देय तिथि पहली जनवरी,2026 से लागू करने के प्रति सरकार गंभीर नहीं है। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा सिफारिशों को स्वीकार कर केन्द्रीय कर्मचारियों पर लागू करने के बाद ही अधिकांश राज्य सरकार इन सिफारिशों को लागू करने के लिए कमेटियों का गठन करते हैं।
राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि केंद्र सरकार ने 16 जनवरी, 2025 को 8वें वेतन आयोग के गठन की सार्वजनिक घोषणा की थी, लेकिन छह माह से अधिक समय बीत जाने के बावजूद अब तक इसकी अधिसूचना जारी नहीं की गई है। उन्होंने इसे कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के साथ किया गया घोर अन्याय और सरकार की असंवेदनशीलता बताया। उन्होंने बताया कि पिछले सप्ताह संसद में वेतन आयोग को लेकर पुछे गए सवाल के जवाब में केन्द्रीय राज्य वित्त मंत्री श्री पंकज चौधरी ने लिखित जवाब दिया कि सरकार ने आयोग के गठन का निर्णय अवश्य लिया है और विभिन्न मंत्रालयों एवं राज्यों से सुझाव मांगे हैं, परंतु आयोग का गठन नहीं हुआ है और ना ही इसकी अधिसूचना जारी हुई है। उन्होंने बताया कि वेतन आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति अधिसूचना जारी होने के बाद ही की जाएगी। महासंघ का आरोप है कि यह जवाब कर्मचारियों एवं पेंशनर्स से विश्वासघात एवं धोखा है। जिसको लेकर कर्मचारियों एवं पेंशनर्स में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
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