हरियाणा सरकार ने इस साल शराब से कुल 14,064 करोड़ रुपये कमाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन अब तक सिर्फ 12,615 करोड़ रुपए ही जुटा पाई है। यानी सरकार करीब 1,400 करोड़ रुपए पीछे चल रही है।
राज्य में कुल 1,194 आबकारी जोन बनाए गए थे, जिनमें से 1,081 जोन की नीलामी हो चुकी है यानी इनमें दुकानें खोलने के लाइसेंस दिए जा चुके हैं।
आबकारी आयुक्त विनय प्रताप सिंह ने बताया कि हर जोन में शराब बेचने वाली दो दुकानें खोली जा सकती हैं। नई नीति लागू होने के तीन हफ्तों के भीतर 2,150 से ज्यादा दुकानें भी खुल चुकी हैं।
ई-नीलामी पोर्टल से नीलामी
आयुक्त ने बताया कि चल रही नीलामी में अब केवल 113 जोन नीलामी के लिए बचे हैं, जिनकी नीलामी कुछ ही दिनों में होने की संभावना है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हरियाणा में खुदरा शराब की दुकानों के लिए आबकारी नीलामी पूरी तरह पारदर्शी प्रक्रिया है, जो ई-नीलामी पोर्टल के माध्यम से आयोजित की जाती है।
चूंकि, लाइसेंसधारक नीलामी प्रक्रिया में स्वतंत्र रूप से भाग लेते हैं, इसलिए आबकारी जोन की नीलामी निष्पक्ष प्रक्रिया द्वारा निर्धारित उचित मूल्य पर की जाती है।
विनय प्रताप ने बताया कि इस साल मंत्रिमंडल ने 31 मार्च, 2027 तक लगभग दो साल की लंबी अवधि के लिए आबकारी नीति को मंजूरी दी थी, इसलिए विभाग पिछले साल की नीलामी की तुलना में कहीं अधिक राजस्व अर्जित करने में सक्षम रहा है। 3 जुलाई 2025 को हुई अंतिम दौर की नीलामी में विभाग ने 21 और जोन की सफलतापूर्वक नीलामी की, जिससे 215 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ।
आबकारी एवं कराधान आयुक्त ने चालू नीलामी में नीलाम किए गए 1081 जोन से अर्जित राजस्व की तुलना पिछली आबकारी नीति से करते हुए कहा कि पिछले वर्ष की नीलामी की तुलना में अब तक लगभग उतने ही जोन की नीलामी की गई है, लेकिन पहले से ही दोगुने से अधिक राजस्व प्राप्त किया जा चुका है।
विभाग को उम्मीद है कि कुछ ही दिनों में आबकारी नीलामी सफलतापूर्वक संपन्न हो जाएगी और राज्य सरकार द्वारा तय किए गए लक्ष्यों से भी अधिक हासिल कर लिया जाएगा। पिछले वर्ष अगस्त 2024 तक चली नीलामी प्रक्रिया से कुल 7,025 करोड़ रुपए का लाइसेंस शुल्क अर्जित हुआ था।
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