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फरीदाबाद, 30 मई - जे.सी. बोस विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद द्वारा फरीदाबाद और पलवल जिलों के संबद्ध कॉलेजों के निदेशकों एवं प्राचार्यों की बैठक आज सतयुग दर्शन इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में आयोजित की गई। कुलपति प्रो. सुशील कुमार तोमर की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक का उद्देश्य संबद्ध कॉलेजों में शैक्षणिक स्तर में सुधार, नवाचार को बढ़ावा देने और उद्योग-अकादमिक सहयोग को मजबूत बनाने के लिए ए
कजुट प्रयास करने पर बल देना था।
बैठक की शुरुआत निदेशकों और प्राचार्यों के परिचय से हुई। बैठक को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. सुशील कुमार तोमर ने विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के लिए अनुसंधान को बढ़ावा देने के महत्व पर बल दिया। उन्होंने सभी संबद्ध कॉलेजों से राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड (एनबीए) और राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (एनएएसी) द्वारा मान्यता प्राप्त करने के लिए तैयारी करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि यह संबद्ध कालेजों के शैक्षणिक स्तर को बेहतर बनाने, संस्थागत विश्वसनीयता को बढ़ाने और राष्ट्रीय व वैश्विक पहचान हासिल करने के लिए जरूरी हैं।
बैठक में डीन (इंस्टीट्यूशन्स) प्रो. मुनीश वशिष्ठ द्वारा प्रस्तुत एजेंडे में संबद्ध कॉलेजों में तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, नवाचार और अकादमिक एवं औद्योगिक सहभागिता को बढ़ावा देने पर विशेष बल दिया गया।
प्रो. तोमर ने संबद्ध कॉलेजों से परस्पर सहयोग एवं संसाधनों को साझा करने का सुझाव दिया। उन्होंने उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के लिए इन्क्यूबेशन सेंटर, उभरती प्रौद्योगिकियों में नवाचार के लिए उत्कृष्टता केंद्र, और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय ख्याति के अकादमिक व उद्योग के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए उद्योग संबंध प्रकोष्ठ स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
बैठक में कुलसचिव प्रो. अजय रंगा, अकादमिक मामलों के डीन प्रो. अतुल मिश्रा, डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. प्रदीप डिमरी, परीक्षा नियंत्रक डॉ. राजीव कुमार सिंह, निदेशक (एडमिशंस) प्रो. आशुतोष निगम, और उप कुलसचिव (अकादमिक) श्री मुनीश गुप्ता उपस्थित रहे। कुलसचिव प्रो. रंगा ने आश्वासन देते हुए कहा कि संबद्ध कॉलेजों की प्रशासनिक समस्याओं के समाधान के लिए उनका कार्यालय पूरी तत्परता से कार्य करेगा।
संबद्ध कॉलेजों के निदेशकों और प्राचार्यों ने भी बैठक में दिये गये सुझावों को लागू को लेकर प्रतिबद्धता जताई। सत्र का समापन डीन (इंस्टीट्यूशन्स) प्रो. मुनीश वशिष्ठ के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ।
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