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जे.सी. बोस विश्वविद्यालय में ‘टैमिंग ऑफ द वाइल्ड’ कठपुतली नाटक का मंचन

Posted by : pramod goyal on : Wednesday, 2 April 2025 0 comments
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 फरीदाबाद, 2 अप्रैल - जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के डीन छात्र कल्याण कार्यालय द्वारा आज कोलकाता के प्रसिद्ध डॉल्स थिएटर द्वारा प्रसिद्ध कठपुतली कलाकार सुदीप गुप्ता के निर्देशन में ‘टैमिंग ऑफ द वाइल्ड’ नामक कठपुतली शो का आयोजन किया गया। 

टैमिंग ऑफ द वाइल्ड कठपुतली थिएटर शो

को सुदीप गुप्ता की देखरेख में आठ सदस्यीय टीम ने प्रस्तुत किया। इस शो में प्रकृति के विभिन्न सुंदर रूपों - तितलियों, मछलियों और पेड़-पौधों और उनके साथ मानव के अंतःक्रिया को प्रदर्शित किया गया। एक घंटे तक चले इस शो को चार एपिसोड में विभाजित था - द वल्र्ड विद इन, फ्लोरल ट्रिब्यूटय, मूवमेंट्स इन वाइल्डरनेस और कॉल ऑफ द वाइल्ड शामिल रहे, जिसमें प्रत्येक की एक अलग कहानी थी। इस शो में प्रकृति और मानवता के बीच के रिश्ते को चित्रित किया गया। कठपुतलियों की चाल, रूप और रंग के साथ ध्वनि प्रभावों के जरिए डॉल्स थिएटर का प्रदर्शन शानदार रहा। इस अवसर पर डीन छात्र कल्याण प्रो. प्रदीप डिमरी, डीन (संस्थान) प्रो. मुनीश वशिष्ठ, अध्यक्ष (मैकेनिकल इंजीनियरिंग) प्रो. अरविंद गुप्ता के अलावा काफी संख्या में विश्वविद्यालय के संकाय सदस्य एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।

सुदीप गुप्ता द्वारा 1990 में स्थापित डॉल्स थिएटर भारत में एक अग्रणी समकालीन कठपुतली थिएटर ग्रुप है और अपनी कलात्मकता के लिए विश्व स्तर पर पहचाना जाता है। इस ग्रुप ने भारत और विदेशों में व्यापक रूप से प्रदर्शन किया है तथा अंतरराष्ट्रीय कठपुतली थिएटर महोत्सवों में देश का प्रतिनिधित्व किया है। 
विश्वविद्यालय के छात्रों और कर्मचारियों ने इस कार्यक्रम का भरपूर आनंद उठाया, जिसमें कठपुतली कलाकारों ने मनमोहक प्रदर्शन किया। यह कार्यक्रम एक प्रेरणादायक सांस्कृतिक और शैक्षिक अनुभव रहा, जिसने छात्रों को मंत्रमुग्ध करने के साथ-साथ पर्यावरण के साथ अपने संबंधों पर चिंतन करने और इसके संरक्षण की दिशा में सक्रिय कदम उठाने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम का समन्वय विश्वविद्यालय के विवेकानंद मंच द्वारा किया गया। 
प्रदर्शन के बाद सुदीप गुप्ता और उनकी टीम ने छात्रों से भी बातचीत की। उन्होंने कहा कि कठपुतली भारत की समृद्ध परंपराओं का एक अभिन्न अंग रहा है, जो बच्चों को सीखने-सिखाने तौर-तरीकों को आसान बनाता है। कठपुतली अभिनय बच्चों की रचनात्मक सोच, कहानी कहने की क्षमता, भावनात्मक संतुलन और संचार कौशल को भी बढ़ाती है।

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