फरीदाबाद। सेक्टर 2 में चल रही भागवत कथा के चौथे दिन भगवान
दत्तात्रय, यज्ञेश्वर और ऋषभदेव अवतार का वर्णन हुआ। बड़े ही सरल तरीके से इन अवतारों का महत्व उदहारण देकर बताया गया। कृष्ण - राम संकीर्तन पर भक्तजन जमकर झूमे और तनमयता के साथ भागवत कथा का आनंद लिया।
कथा व्यास राधिका दासी ने सर्व प्रथम भगवान दत्तात्रय अवतार के महत्व पर प्रकाश डाला और उपस्तिथित श्रोताओं को बताया कि दत्तात्रेय, महर्षि अत्रि और माता अनुसूया के पुत्र थे। दत्तात्रेय तीन सिर वाले हैं, इसलिए वे सृजनशील, संरक्षक और संहारक हैं।दत्तात्रेय को भगवान शिव का साक्षात रूप भी माना जाता है। दत्तात्रेय ने इस धरती पर लोगों को अज्ञानता से मुक्त करने और उनके दिलों को ज्ञान और आध्यात्मिक आनंद के प्रकाश से रोशन करने के लिए अवतार लिया। कथा व्यास राधिका ने बताया कि किस प्रकार माता अनसुइआ ने उनकी परीक्षा लेने आये तीनों त्रिदेवों को बालक बना दिया था।
इसके बाद यज्ञेश्वर अवतार के बारे में बताया गया। यज्ञेश्वर का मतलब है 'बलिदान का देवता'. यज्ञ के रूप में विष्णु, हिंदू बलिदान अनुष्ठानों और यज्ञ के अवतार हैं। उन्हें मार्कण्डेय ऋषि द्वारा राक्षसों से रक्षा हेतु देवताओं, ऋषि मुनि आदि संतों के लिए किये जाने वाले यज्ञों एवं पूजा-अर्चनाओं द्वारा अग्निकुंड से उत्पन्न किया गया था। उनके पिता रुसी हैं, और उनकी मां आकुटी हैं। तत्पश्चाय्त भगवान विष्णु के ऋषभदेव अवतार का वर्णन बड़े ही सुंदर ढंग से किया गया।
No comments :