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फरीदाबाद,17 मार्च।
मुख्यमंत्री द्वारा
पेश किए बजट में मांगों की अनदेखी से राज्य के लाखों कर्मचारियों एवं पेंशनर्स में भारी नाराजगी है। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि जैसे कर्मचारी और पेंशनर्स सरकार के एजेंडे में ही नहीं है। उन्होंने बताया कि बजट में हरियाणा के कर्मचारियों की प्रमुख मांग राज्य कर्मचारियों के लिए अलग वेतन आयोग का गठन, पांच हजार रुपए अंतरिम राहत, पुरानी पेंशन बहाली,कौशल रोजगार निगम को भंग सभी प्रकार के आउटसोर्स ठेका कर्मियों व स्कीम वर्कर को नियमित करने,26 हजार रुपए न्यूनतम वेतन देने,18 महीने के बकाया डीए डीआर रिलीज करने, केन्द्र की तर्ज पर एचआरए स्लैब में बदलाव कर क्रमशः 10:20:30 प्रतिशत करने व निजीकरण की नीतियों पर रोक लगाने व खाली पदों को समयबद्ध तरीके से भरने आदि मांगों को संबोधित ही नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि पेंशनर्स की 65 साल की उम्र में 10 प्रतिशत व 75 साल में 10 प्रतिशत बढ़ोतरी करने, कम्युटेशन राशि को 15 की बजाय 10 साल 8 महीने में रिकवरी करने, कैशलैस मेडिकल सुविधा देने, पेंशनर्स को तीन हजार रूपए मेडिकल अलाउंस देने व फैमिली पेंशनर्स को एलटीसी की सुविधा देने आदि मांगों को पूरी तरह अनदेखी की गई है।
पेश किए बजट में मांगों की अनदेखी से राज्य के लाखों कर्मचारियों एवं पेंशनर्स में भारी नाराजगी है। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि जैसे कर्मचारी और पेंशनर्स सरकार के एजेंडे में ही नहीं है। उन्होंने बताया कि बजट में हरियाणा के कर्मचारियों की प्रमुख मांग राज्य कर्मचारियों के लिए अलग वेतन आयोग का गठन, पांच हजार रुपए अंतरिम राहत, पुरानी पेंशन बहाली,कौशल रोजगार निगम को भंग सभी प्रकार के आउटसोर्स ठेका कर्मियों व स्कीम वर्कर को नियमित करने,26 हजार रुपए न्यूनतम वेतन देने,18 महीने के बकाया डीए डीआर रिलीज करने, केन्द्र की तर्ज पर एचआरए स्लैब में बदलाव कर क्रमशः 10:20:30 प्रतिशत करने व निजीकरण की नीतियों पर रोक लगाने व खाली पदों को समयबद्ध तरीके से भरने आदि मांगों को संबोधित ही नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि पेंशनर्स की 65 साल की उम्र में 10 प्रतिशत व 75 साल में 10 प्रतिशत बढ़ोतरी करने, कम्युटेशन राशि को 15 की बजाय 10 साल 8 महीने में रिकवरी करने, कैशलैस मेडिकल सुविधा देने, पेंशनर्स को तीन हजार रूपए मेडिकल अलाउंस देने व फैमिली पेंशनर्स को एलटीसी की सुविधा देने आदि मांगों को पूरी तरह अनदेखी की गई है।
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