फरीदाबाद। सेक्टर 2 में चल रहे श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन नर -नारायण और कपिल भगवान अवतार का व्याख्यान हुआ। जिसका रसास्वादन दर्जनों श्रोताओं ने किया। कथा के बीच बीच में मधुर भजनों और श्री कृष्ण संकीर्तन ने उपस्तिथित लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया।
कथा व्यास राधिका दासी ने सबसे पहले बताया कि भगवान इस धरा पर भक्तों को सुख देने के लिए अवतरित होते है। उन्होंने नर - नारायण अवतार का वर्णन करते हुए कहा कि इस अवतार में भगवान विष्णु ने नर और नारायण रूपी जुड़वां संतों के रूप में अवतार लिया था। इसी रूप में उन्होंने बद्रीनाथ तीर्थ में तपस्या की थी। संतो की पुकार पर भगवान नर नारायण अवतार लिया और सहस्त्र कवच वाले हयग्रीवासुर राक्षस से मुक्ति दिलाई। द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने
, नारायण और अर्जुन ने नर के रूप में अवतार लिया और कर्ण के रूप में आये कवच धारी राक्षस का वध किया।
कथा व्यास राधिका दासी ने कपिल भगवान के अवतार के बारे में बताया कि इस अवतार में उन्होंने न तो कोई अस्त्र उठाया और न किसी राक्षस का वध किया। कपिल मुनि अवतार में उन्होंने संतो में कम हो रही ज्ञान शक्ति को बढ़ाया। कर्दम ऋषि की कपिल मुनि दसवीं संतान थे। कपिल मुनि को सांख्य शास्त्र का प्रवर्तक माना जाता है. कपिल मुनि ने अपनी माता देवहूति को सांख्य योग का ज्ञान दिया था। कपिल मुनि ने बाल्यावस्था में ही अपनी माता को सृष्टि और प्रकृति के 24 तत्त्वों का ज्ञान दिया कपिल मुनि ने ध्यान और तपस्या का मार्ग बतलाया था.
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