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फरीदाबाद - मुख्यमंत्री हरियाणा सरकार द्वारा विधानसभा में प्रस्तुत किया गया बजट में मजदूरों ओर मेहनतकश जनता के लिए जनविरोधी, जुमलेबाजी और मजदूरों ओर मेहनतकश जनता के साथ धोखेबाजी के अलावा कुछ नहीं - सीटू
सीटू के अध्यक्ष निरन्तर पराशरऔर सचि
व वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी जोकि वित्तमंत्री भी हैं। द्वारा पेश किए गए बजट को मजदूरों के साथ धोखाधड़ी बताया है। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से पेश किए गए बजट में राज्य में प्रतिव्यक्ति आय ओर जीडीपी की वृद्धि दर में बढ़ौतरी का बड़ा बखान किया है। राज्य की जीडीपी के साइज में तीन गुणा बढ़ौतरी हुई है। यही नहीं प्रति व्यक्ति आय डबल से भी ज्यादा हो गई जोकि 1,47, 382 से बढ़कर 3,53,182 रूपये बताई गई है। लेकिन राज्य में लाखों मजदूरों, ठेका या अस्थाई कर्मचारियों सहित स्कीम वर्कर्स को क्या मिल रहा है ? सरकार को यह भी आंकड़ा देना चाहिए कि इस प्रतिव्यक्ति आय में ऊपर के 2-3 प्रतिशत की कितना आमदन है। क्योंकि लाखों की संख्या की मजदूर आबादी की आमदन तो 5 से 10 हजार रुपए तक नहीं नहीं। 2014-2015 में राज्य में न्यूनतम वेतन करीब 8 हजार रुपए था। पिछले दस साल में जीडीपी और प्रतिव्यक्ति आय के पैमाने के अनुसार इसे कम से कम 20 से 26 हजार होना चाहिए था। लेकिन फिलहाल राज्य में न्यूनतम वेतन केवल 11001 रुपए है ओर यह भी मजदूरों को नहीं मिलता।
व वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी जोकि वित्तमंत्री भी हैं। द्वारा पेश किए गए बजट को मजदूरों के साथ धोखाधड़ी बताया है। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से पेश किए गए बजट में राज्य में प्रतिव्यक्ति आय ओर जीडीपी की वृद्धि दर में बढ़ौतरी का बड़ा बखान किया है। राज्य की जीडीपी के साइज में तीन गुणा बढ़ौतरी हुई है। यही नहीं प्रति व्यक्ति आय डबल से भी ज्यादा हो गई जोकि 1,47, 382 से बढ़कर 3,53,182 रूपये बताई गई है। लेकिन राज्य में लाखों मजदूरों, ठेका या अस्थाई कर्मचारियों सहित स्कीम वर्कर्स को क्या मिल रहा है ? सरकार को यह भी आंकड़ा देना चाहिए कि इस प्रतिव्यक्ति आय में ऊपर के 2-3 प्रतिशत की कितना आमदन है। क्योंकि लाखों की संख्या की मजदूर आबादी की आमदन तो 5 से 10 हजार रुपए तक नहीं नहीं। 2014-2015 में राज्य में न्यूनतम वेतन करीब 8 हजार रुपए था। पिछले दस साल में जीडीपी और प्रतिव्यक्ति आय के पैमाने के अनुसार इसे कम से कम 20 से 26 हजार होना चाहिए था। लेकिन फिलहाल राज्य में न्यूनतम वेतन केवल 11001 रुपए है ओर यह भी मजदूरों को नहीं मिलता।
मजदूर नेताओं ने कहा कि बड़ी विचित्र बात है कि राज्य की मजदूर आबादी जो ₹26000 न्यूनतम वेतन की मांग कर रही है। मनरेगा में मजदूरी 800 रुपए की मांग कर रही है। लेकिन माननीय वित्तमंत्री द्वारा इस बारे एक शब्द भी नहीं बोला गया। कानूनी रूप से न्यूनतम वेतन 5 साल पहले रिवाइज होना चाहिए था जो नहीं किया जा रहा। उन्होंने 2047 तक राज्य के 50 लाख युवाओं को रोजगार देने को जुमला करार देते हुए कहा कि यह छलावा भर है। हरियाणा बेरोजगारी के मामले में नंबर 1 पर है लेकिन 2047 तक की बात करना युवाओं के साथ केवल धोखेबाजी है ओर कुछ नहीं। बजट में सरकार के विभागों में कार्यरत कच्चे कर्मचारियों, एच के आर एन कर्मचारियों, सफाई के कार्य में लगे कच्चे कर्मचारियों, आंगनवाड़ी, आशा, मिड डे मील, क्रेच आदि को स्थाई करने बारे एक शब्द नहीं कहा गया। यह बजट जनविरोधी, जुमलेबाजी और मजदूरों ओर मेहनतकश जनता के साथ धोखेबाजी के अलावा कुछ नहीं है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में दिल्ली और फरीदाबाद के मजदूरों के वेतन में 8 हजार रुपए का अंतर है। दिल्ली के मजदूरों को 18 हजार न्यूनतम वेतन मिलता है। जबकि फरीदाबाद के मजदूरों को जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अंतर्गत आता है। केवल 10 हजार रुपए न्यूनतम वेतन मिलता है। हरियाणा में न्यूनतम वेतन पिछले 15 सालों से संशोधित नहीं किया गया है। मजदूरों का कारखाने के मालिक भारी शोषण कर रहे हैं। मजदूरों के लिए सरकार ने बजट में कुछ भी नहीं किया। प्रदेश के सभी वर्गों को सरकार के बजट से भारी निराशा हुई है।
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