HEADLINES


More

बजट में 8वें पे कमीशन के गठन की घोषणा नहीं हुई, तो तेज होगा राष्ट्रव्यापी आंदोलन : सुभाष लांबा

Posted by : pramod goyal on : Wednesday, 15 January 2025 0 comments
pramod goyal
Saved under : , ,
//# Adsense Code Here #//

 फरीदाबाद,13 जनवरी। आठवें पे कमीशन के अभी तक गठन न होने से केन्द्र एवं राज्य कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। कर्मचारी केन्द्रीय आम बजट में पीएफआरडीए एक्ट रद्द कर पुरानी पेंशन बहाली और इंनकम टैक्स की छूट की सीमा बढ़ाकर 10 लाख करने की मांग कर रहे हैं। पचास लाख से ज्यादा आउटसोर्स, संविदा ठेका कर्मियों की भी रेगुलराइजेशन की मांग लगाता


र उठ रही है।

ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्पलाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा कि अगर केंद्र सरकार ने बजट में 8वें पे कमीशन के गठन, पीएफआरडीए एक्ट रद्द कर पुरानी पेंशन बहाली,इंनकम टैक्स की छूट की सीमा बढ़ाकर 10 लाख करने और ठेका संविदा, आउटसोर्स व दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को रेगुलर करने का कोई ऐलान नहीं किया तो केन्द्र एवं राज्य कर्मचारी राष्ट्रव्यापी आंदोलन तेज करने पर मजबूर होंगे। जिसके पहले चरण में 7-8 फरवरी को देश भर में विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि पिछले दस सालों में केन्द्र सरकार ने कारपोरेट टैक्स 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत कर कारपोरेट घरानों को लाखों करोड़ की राहत प्रदान की है। लेकिन केन्द्र सरकार इंनकम टैक्स की छूट की सीमा बढ़ाकर 10 लाख करने की मांग की लगातार अनदेखी कर रही है। उन्होंने कहा कि अभी तक केन्द्रीय 8वें पे कमीशन का गठन नहीं किया गया है और सरकार के अनुसार उसके पास ऐसा कोई प्रस्ताव भी विचारणीय नहीं है। जबकि पे कमीशन की सिफारिशों को पहली जनवरी,2026 से लागू किया जाना है। कर्मचारी एवं पेंशनर्स इसका बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कर्मचारी पीएफआरडीए एक्ट रद्द कर पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर आंदोलन चला रहे हैं। लेकिन केन्द्र सरकार ने पुरानी पेंशन बहाली की बजाय यूपीएस लागू करने का ऐलान कर जले पर नमक छिड़कने का काम किया है। क्योंकि किसी भी कर्मचारी संगठन ने ऐसी कोई मांग कभी नहीं की थी। उन्होंने कहा कि सरकार रिकॉर्ड जीएसटी कलेक्शन का दावा कर रही है। इसके बावजूद कर्मचारियों एवं पेंशनर्स के फ्रिज किए 18 महीने के बकाया डीए/डीआर का भुगतान नहीं किया जा रहा है। बेरोजगारी चरम पर है और सरकारी विभागों एवं पीएसयू में करीब एक करोड़ पद रिक्त हैं। सरकार इनको स्थाई भर्ती से भर बेरोजगारों को रोजगार देने की बजाय जन सेवा के विभागों को सिकोड़ रही है और पीएसयू का निजीकरण कर रही है। जिसका चौतरफा विरोध भी हो रहा है। उन्होंने कहा कि आज देश में पचास लाख से ज्यादा पढ़े लिखे बेरोजगारों को स्वीकृत रिक्त पदों के विरुद्ध ठेका संविदा, आउटसोर्स, दैनिक वेतन भोगी आधार पर लगाया हुआ है। जहां उन्हें ना पूरा वेतन मिल रहा है और न ही कोई सामाजिक सुरक्षा मिल रही है। इन्हें रेगुलर करने का कोई एजेंडा सरकार के पास नहीं है। ट्रेड यूनियन एवं लोकतांत्रिक अधिकारों पर लगातार हमले किए जा रहे हैं। जिसको लेकर कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

No comments :

Leave a Reply