//# Adsense Code Here #//
फरीदाबाद 20 जनवरी बिजली व सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण, बेरोजगारी, नई कृषि बाजार नीति, लेबर कोड्स, महंगाई, महिला उत्पीडन, नशाखोरी, अपराधीकरण के खिलाफ तथा एमएसपी, को लेकर माकपा 24 जनवरी से 30 जनवरी* तक जन संपर्क अभियान चलायेगी । इसके बाद 31जनवरी को उपायुक्त कार्यालय के सामने सैक्टर 12 में प्रदर्शन करेगी।यह निर्णय पार्टी की
कल हुई बैठक में लिया गया। इसकी अध्यक्षता कामरेड शिव प्रसाद ने की। जबकि संचालन पार्टी के जिला सचिव वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने किया। बैठक में पार्टी के राज्य कमेटी के नेता कामरेड सुरेखा और जय भगवान भी विशेष रूप से उपस्थित रहे। उन्होंने बताया कि इस साल हुए लोकसभा व विधानसभा चुनावों में भाजपा तीसरी बार सत्ता में आई है। तभी से डबल ईंजन की सरकार बहुत तेजी से पूंजीपरस्त ,नवउदारवादी नीतियों के साथ-साथ साम्प्रदायिक-जातिवादी एजेंडा को लागू कर रही है। इससे बड़े-बड़े पूंजीपति घरानों को अनाप-शनाप मुनाफा कमाने की खुली छुट मिली हुई है। और मेहनतकश जनता मंहगाई, बेरोजगारी, ग़रीबी, भूखमरी, कूपोषण आदि की मार झेलते हुए साम्प्रदायिक - जातिवादी हमलों की आसान शिकार हो रही है।
भाजपा की इन नीतियों से किसान-खेत मजदूर, मजदूर, कर्मचारी, व्यापारी महिला, दलित, अल्पसंख्यक आदि हर तबका उत्पीड़न का शिकार हो रहा है। खेती में सरकारी निवेश घटने,और उत्पादन लागत बढ़ने से खेती घाटे का सौदा बन गई है। अधिक कर्जा लेने से किसान व खेत मजदूरों की आत्महत्याओं की दर लगातार बढ रही है।किसानों के आंदोलन के दबाव में सरकार ने तीन कृषि कानूनों को वापस लिया था, और एमएसपी और बिजली संशोधन पर विचार करने की बात कही थी। परंतु पिछले दरवाजे से इन कानूनों को लागू कर रहे हैं। मंडियों को ख़त्म किया जा रहा है। बिजली के निजीकरण की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। सबसे पहले वर्तमान में ठीक प्रकार से चल रहे बिजली मीटरों को स्मार्ट मीटरों से बदलना और उसके बाद इनको प्रीपेड बनाने का काम युद्धस्तर पर चल रहा है। सबसे पहले कर्मचारी, इसके बाद गैर घरेलू उपभोक्ता, फिर औद्योगिक और उसके बाद किसान व घरेलू उपभोक्ताओं का नंबर आएगा। टेरिफ पॉलिसी में बदलाव किया जा रहा है। पीक लोड समय में 50 रुपए प्रति यूनिट तक की मंजूरी दी गई है। बिजली वितरण निगमों को कौड़ियों के भाव में अपने चहते पूंजीपतियों के हवाले किया जा रहा है। हर साल 200 करोड़ से ज्यादा का मुनाफा देने वाला चंडीगढ़ पावर डिपार्टमेंट जिसकी परिसंपत्तियां करीब 25 हजार करोड़ रुपए हैं, उसको 878 करोड़ रुपए में चुनाव में भाजपा को 100 करोड़ रुपए देने वाली गोयनका ग्रुप की कंपनी को बेच दिया। यह पावर डिपार्टमेंट देश भर में सबसे सस्ती 2.25 से 4.50 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली आपूर्ति कर रहा है। परंतु निजीकरण के बाद घरेलू उपभोक्ताओं को मंहगी बिजली महंगी मिलेगी। खेती व उधोगों पर भी विपरित असर पड़ेगा।
इसी तरह से सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य विभागों का निजीकरण किए जाने ने स्थाई रोजगार को चौपट कर दिया है। रिक्त पदों पर पक्की भर्ती की बजाए कौशल रोजगार निगम के नाम पर कच्ची भर्ती की स्थाई व्यवस्था बनाई गई है। काम का अधिक बोझ, कम वेतन तथा सामाजिक असुरक्षा के चलते कर्मचारी अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। सेवा सुरक्षा, समान काम - समान वेतन, परियोजना कर्मियों समेत सभी कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने, पुरानी पेंशन योजना की बहाली, वेतन रिवाइज करने व अन्य मांगों को लेकर संघर्ष करने वाले कर्मचारियों की मांगों का बातचीत के माध्यम से समाधान करने की बजाय कर्मचारियों का दमन किया जा रहा है। कई-कई साल से नौकरियों की तैयारी कर रहे शिक्षित युवाओं को लाखों रिक्त पद होने के बावजूद भी नौकरियां नहीं दी जा रही हैं। परीक्षाओं में धांधलियों के नित्य नए मामले सामने आ रहे हैं। अभी मेडिकल कॉलेज रोहतक में एमबीबीएस दाखिलों का घोटाला सामने आया है। औधोगिक क्षेत्र में भी रोजगार घट रहे हैं। नए लेबर कोड्स मजदूरों का शोषण और पूंजीपतियों का मुनाफा बढ़ाने वाले हैं। मनरेगा के बजट व काम के दिनों में कटौती की जा रही है। राज्य के नौजवान अच्छे भविष्य की तलाश में कर्ज उठाकर और अपनी जान जोखिम में डालकर विदेश जाने के लिये मजबूर हो रहे हैं। देश की ऊर्जावान शक्ति को देश के विकास में सक्रिय भागेदारी से महरूम किया जा रहा है।
सबके लिए सस्ती शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास सुविधाएं सपना ही बन गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति सार्वजनिक शिक्षा को तबाह करने का ही कदम है। खाद्य वस्तुओं, आवास निर्माण सामग्री व किराए-भाड़ों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। साफ पीने का पानी, गंदे पानी की निकासी, साफ सफाई, पक्की गलियों का आज भी आभाव बना हुआ है। साईबर क्राईम, नशाखोरी, हत्याएं, चोरी, फिरौती, साम्प्रदायिक हमले तथा बच्चियों-महिलाओं व कमजोर तबकों पर आपराधिक घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है। पुलिस प्रशासन पंगु बना हुआ है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली, मंत्री संदीप सिंह, बृजभूषण शरण आदि नेताओं पर महिलाओं ने जब यौन हिंसा के आरोप लगाए, लंबे समय तक पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह तस्वीर बदहाल कानून व्यवस्था और अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण की भयावह स्थिति को उजागर करती है।
भाजपा-आरएसएस ज़ुंडली हमारे देश के संविधान व उसकी बुनियाद पर लगातार हमले कर रही है। देश के गृह मंत्री द्वारा संसद में डॉ अंबेडकर के बारे टिप्पणी भाजपा की संविधान के बारे सोच को ही दर्शाती है। अल्पसंख्यकों और दलितों पर हिंसा व अत्याचार बढ़े हैं।
No comments :