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फरीदाबाद 5 दिसंबर। केन्द्र सरकार द्वारा आठवें पे कमीशन के गठन से इंकार करने से करोड़ों केंद्र एवं राज्य कर्मचारियों में आक्रोश की लहर दौड़ गई है। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने केंद्र सरकार के इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए राष्ट्रव्यापी आंदोलन छेड़ने का ऐलान किया है। जिसके लिए महासंघ ने 28-29 दिसंबर को कानपुर में राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक आयोजित करने का फैसला किया है। श्री लांबा
ने बताया कि 3 दिसंबर को राज्यसभा सांसद जावेद अली खान व रामजी लाल सुमन सवाल पुछा था कि क्या केंद्र सरकार कर्मचारियों के लिए आठवें पे कमीशन का गठन करने जा रही है ? यदि हां तो उसकी डिटेल क्या है ? इसके जवाब में केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लिखित जवाब दिया कि केंद्र सरकार के पास आठवें पे कमीशन के गठन का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के इस जवाब से केन्द्र एवं राज्य कर्मचारियों तथा पीएसयू के कर्मचारियों में आक्रोश की लहर दौड़ गई है। क्योंकि आठवें पे कमीशन की सिफारिशों को जनवरी 2026 से लागू किया जाना है। जिसका अभी तक गठन नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि दस साल अंतराल के बाद वेतनमानों में संशोधन करने के लिए सेंट्रल पे कमीशन का गठन किया जाता और उसकी सिफारिशों को लागू किया जाता है। अधिकतर राज्य सरकारें भी इसी के अनुसार राज्य कर्मचारियों के वेतनमान में संशोधन किया जाता है।
श्री लांबा ने कहा कि केंद्र सरकार इससे पहले पुरानी पेंशन बहाली और कोविड 19 में कर्मचारियों एवं पेंशनर्स को फ्रीज किए 18 महीने की डीए डीआर को बहाल करने तथा ठेका संविदा कर्मियों को नियमित करने से स्पष्ट मना कर चुकी है। उन्होंने कहा कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रमों को निजी हाथों में सौंपने को सरकारी विभागों को सिकोड़ने का काम कर रही। खाली पड़े एक करोड़ से ज्यादा रिक्त पदों को स्थाई भर्ती से भर बेरोजगारों को रोजगार देने की बजाय संविदा आधार पर मामूली भर्ती की जा रही है। ट्रेड यूनियन एवं लोकतांत्रिक अधिकारों पर लगातार हमले किए जा रहे हैं। जिसको लेकर केंद्र एवं राज्य कर्मचारियों में भारी आक्रोश है।
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