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मच्छरों के आंतक से शहरवासी परेशान लेकिन शासन-प्रशासन मच्छर मारने की दवा तक नहीं छिडक़ रहा

Posted by : pramod goyal on : Monday, 28 October 2024 0 comments
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 फरीदाबाद। समाजसेवी हरीश चन्द्र आज़ाद ने कहा कि देश को आज़ाद हुए 77 वर्ष हो गये लेकिन आज़ाद भारत का नागरिक आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। अगर यही हाल रहा तो हम विकासशील देशों में कैसे और कब गिने जायेंगे। उन्होंने कहा कि इस बार प्रदेश के चुनावों 


में मैने फरीदाबाद के हर क्षेत्र में ध्यान से देखा और सुना कि प्रत्येक विद्यानसभा क्षेत्र में लोग बिजली, पानी, सडक़, गंदगी और सीवर जाम की समस्या से ग्रस्त थे और शहरवासियों की सभी नेताओं से सिर्फ और सिर्फ इन्ही मूलभूत सुविधाओं की माँग थी। हमारी सरकारें 77 वर्षों से हमें इन्ही मूलभूत सुविधाओं में उलझाती रही हैं जबकि बाकि विकासशील देशों के लोग नेताओं के आगे बच्चों के भविष्य के लिये योजनायें, नोकरियाँ, मदर यूनिट, रोजगार के साधन  जैसी बड़ी-बड़ी योजनाओं की माँग करते हैं।

हरीश आज़ाद ने कहा कि इस समय शहर में मच्छरों को भंलकर प्रकोप है जिससे लगातार शहरवासी नई-नई बिमारियों के शिकार हो रहे हैं। इस समय शहर को ड़ेगूचिकनगूनियामलेरिया जैसी बिमारियों ने जकड़ रखा है लेकिन मज़ाल है कि शासन-प्रशासन के किसी अधिकारी ने इस ओर घ्यान दिया हो या इसके लिये कोई मीटिंग की हो कि कैसे शहर को मच्छरों से निज़ाद दिलाया जस सकता है और तो और अभी तक नगर निगम द्वारा कहीं कोई मच्छर मारने की दवाई तक नहीं छिडक़ी गई जबकि आजकल मच्छरों का जो प्रकोप है उसके चलते प्रशासन को प्रत्येक क्षेत्र में लगातार मच्छर मारने की दवा छिडक़नी चाहिये लेकिन शासन=प्रशासन मौन धारण करके शहरवासियों को बिमारियों की ओर धकेल रहा है।

आज़ाद ने कहा कि 77 वर्षों में अगर हमारी सरकारें हमें मूलभूत सुविधायें जिसका प्रत्येक आज़ाद भारत के नागरिक का प्रथम अधिकार है वह भी नहीं दे पा रही हैं तो ऐसी आज़ादी का क्या फायदा है। बस हमारी सरकारें हमें धर्म में्र जातिवाद मेंराजनितक पार्टीवाद और फ्री के लुभावने वादों में ही उलझाये हुई हैं और हम सब भी ऐसी सरकारों के अंधभक्त हुए जा रहे हैं और अपने बच्चों के भविष्य को दाँव पर लगाये जा रहे हैं। इसलिये मेरा देश के नागरिकों से अनुरोध है कि प्रत्येक चुनावों में हिन्दू-मुस्लिम  अन्य इन राजनितक नेताओं की चालों का विरोध करते हुए या तो नोटा का प्रयोग करें या फिर इनके चुनावी घोषणा पत्रों में अपने बच्चों के भविष्य के बारे में क्या करेंगे वह लिखवाये और समय-समय पर इन पार्टियों के घोषणा पत्र देखते रहे और वह पूरे  हुए हों तो चुनावों में तुरन्त इनका विरोध करके दूसरी पार्टी को चुने जिस दिन हम जाग गए और सिर्फ अपने बच्चों  देश के भविष्य पर ध्यान देने लगेंगे तब यह पार्टियाँ सुधरेंगी। प्रत्येक नेता के पहले चुनाव लडऩे की पहले की सम्पति और बाद की सम्पति पर भी नज़र रखे और कानून का सहारा लेकर इनसे जवाब माँगे तभी हमारे देश  बच्चों का भविष्य उज्जवल होगा नहीं तो यह नेता हमें इन्हीं मूलभूत सुविधाओं में ही उलझाये रखेंगे। इम जागेंगे तो ही तो यह सोये हुए नेता जागेंगे।

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