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जेआरसी का हरियाणा के वीर शहीदों को नमन, विद्यार्थियों को वीरों की जीवन गाथा से अवगत कराया

Posted by : pramod goyal on : Tuesday, 24 September 2024 0 comments
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 गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल सराय ख्वाजा फरीदाबाद में प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में जूनियर रेडक्रॉस, गाइड्स और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड द्वारा हरियाणा वीर शहीदी दिवस पर हरियाणा के वीरों को नमन करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की गई। विद्यालय की जूनियर रेडक्रॉस और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड प्रभारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि


आज के दिन राव तुलाराम सहित सभी ज्ञात और अज्ञात बलिदानियों और स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं और उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है। यह दिवस 1857 में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महानायक अमर शहीद राव तुलाराम के बलिदान के रूप में मनाया जाता है। अंग्रेजी राव तुलाराम का जन्म रेवाड़ी के रामपुरा में 9 दिसंबर 1825 को हुआ था। उस समय उनके पिता राव पूर्ण सिंह का रेवाड़ी अहीरवाल में राज था। राव तुला राम जब 14 वर्ष के थे तब उनके पिता का देहांत हो गया था। उसके पश्चात 14 वर्ष की आयु में ही उन्होंने राज गद्दी संभाल ली। लेकिन पिता की मृत्यु के पश्चात अंग्रेज़ों ने उन के राज्य पर धीरे धीरे अधिकार कर लिया। इसके पश्चात राव तुलाराम ने अपनी सेना तैयार की। 1857 के विद्रोह की आग जब मेरठ तक पहुंची तो वो भी इस क्रांति में कूद पड़े। राव तुलाराम और उनके भाई के नेतृत्व में रेवाड़ी की सेना ने अंग्रेज़ी साम्राज्य की नाक में दम कर दिया और रेवाड़ी व उसके आस पास के कई क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया। 23 सितंबर 1863 को उन्होंने काबुल में अंतिम सांस ली। राव तुला राम ने भारत को स्वतंत्र कराने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि मातृभूमि के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले शहीदों की शहादत आने वाली पीढ़ियों के लिए हमेशा प्रेरणास्रोत रहती है। उन्होंने कहा राज्य सरकार की सोच है कि महान शहीदों के सपनों को साकार करने के लिए हरियाणा एक हरियाणवी एक की सोच के साथ आगे बढ़ा जाए। प्रार्थना सभा में विद्यार्थियों को हरियाणा के वीर बलिदानियों के स्वाधीनता संग्राम में अतुलनीय साहस, समर्पण और भारत माता पर सर्वस्व न्यौछावर करने की भावना के बारे में बताया गया। प्राचार्य मनचंदा ने कहा कि देश पर सर्वस्व न्यौछावर करने वाली भारत माता के वीर सपूतों के ऋण से हम कभी मुक्त नहीं हो सकते। देश के प्रति समर्पित भाव से, कर्त्तव्य परायणता से और सेवा भाव से कार्य करना ही उन वीरों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।


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