हरियाणा के विधानसभा चुनाव में अब ज्यादा समय नहीं बचा है. इसके बावजूद बड़ी राजनीतिक पार्टियां बीजेपी और कांग्रेस की ओर से अभी तक उम्मीदवारों के नाम का ऐलान नहीं हो सका है. नामांकन शुरू होने में अब केवल दो दिन का समय है, लेकिन पार्टियों की ओर से अभी तक टिकट नहीं बांटे गए. दरअसल, माना जा रहा है कि टिकटों को लेकर घमासान ने बीजेपी की परेशानी बढ़ा दी है.
पार्टी नेताओं का कहना है कि हरियाणा में उम्मीदवारों के नाम की प्लानिंग अंतिम चरण में है और दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व विचार-मंथन करने के लिए लगातार बैठकें कर रहा है. ऐसी ही एक बैठक सोमवार (2 सितंबर) की देर शाम हुई, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई नेताओं ने जिताऊ उम्मीदवारों के नाम की चर्चा की.
ऐसे में हरियाणा में बीजेपी अपने नेताओं को नाराज नहीं करना चाहती. माना जा रहा है कि कैंडिडेट लिस्ट के ऐलान में देरी की वजह भी यही है कि कहीं नेता नाराज होकर दूसरे दल न जॉइन कर लें. ऐसा कहा जा सकता है कि पार्टी अपने नेताओं को दल बदलने का समय नहीं देना चाहती.
वहीं, बात कांग्रेस की करें तो एक ओर पार्टी के नेता इस बात पर विश्वास जता रहे हैं कि कांग्रेस अकेले दम पर चुनाव जीत सकती है. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने काफी समय पहले ये ऐलान किया था कि हरियाणा में कांग्रेस अकेले ही लड़ेगी और सरकार बनाएगी. हालांकि,
अब लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के सीनियर नेता राहुल गांधी चाहते हैं कि राज्य में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन की संभावना तलाशी जाए.
माना ये भी जा रहा है कि बीजेपी और कांग्रेस ने अभी तक अपनी लिस्ट इसलिए जारी नहीं की है, क्योंकि दोनों दल एक दूसरे केी उम्मीदवार सूची का इंतजार कर रहे हैं. अगर टिकट न मिलने या किसी और कारण से पार्टी के नेता नाराज होते हैं और दल बदलने की सोचते हैं तो इससे दूसरी पार्टी को फायदा हो सकता है. ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस की कैंडिडेट लिस्ट आने मे देरी हो रही है.
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