फरीदाबाद। क्या फरीदाबाद में कांग्रेस ने दो टिकट बदलकर भाजपा को लाभ पहुंचाने का प्रयास किया है। यह चर्चा यहाँ राजनैतिक क्षेत्रों में जोरों पर है। आखिर कांग्रेस ने जिताऊ उम्मीदवारों की अनदेखी करके ऐसे नए चेहरों चुनावी रण में क्यों उतार दिया, जो किसी अभी तक किसी मुकाबले में ही नजर नहीं आ रहे है। क्या कांग्रेस अति विश्वास का शिकार है कि पार्टी की हरियाणा में हवा चल रही है, ऐसे में किसी को भी टिकट देकर मैदान में उतार दे, जीत जायेगा। या फिर कांग्रेस में टिकटों को लेकर ऊपरी दबाव अधिक रहता है, जमीनी रिपोर्ट कोई मायने नहीं रखती है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा और प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया बार बार यही राग अलाप रहे थे कि कांग्रेस सर्वे के आधार पर टिकट देगी। जिताऊ और टिकाऊ उम्मीदवारों को ही पार्टी का टिकट मिलेगा। लेकिन बल्लभगढ़ और तिगांव की टिकटों को देखकर तो ऐसा नहीं लग रहा है।
वर्षो से पार्टी के लिए कार्य कर रहे बल्लभगढ़ से शारदा राठौर और तिगांव से ललित नागर का टिकट अंतिम समय में काट दिया गया। दोनों ही नेता अपनी टिकट पक्की मानकर चुनाव तैयारी में लगे हुए थे और विरोधी उम्मीदवारों अच्छी टक्कर देने की स्तिथि में थे। अब दोनों ही निर्दलीय तौर पर चुनाव मैदान में, जिससे सबसे अधिक कांग्रेस को ही नुकसान होगा।
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