हरियाणा विधानसभा चुनाव में टिकट के दावेदार नेताओ ने दिल्ली में डेरा डाला हुआ है। कांग्रेस हो या फिर भाजपा सभी दलों के नेता टिकट की चाहत में राजनैतिक आकाओं के घरों और कार्यालयों के चक्कर लगा रहे है। कांग्रेस टिकट के दावेदार नेताओं की अधिकांश भीड़ दीपेंदर हुड्डा के दिल्ली निवास पर अधिक है। होटलों में रह रहे कई नेता तो टिकट की जुगत में सभी तरह के हड़कंडे अपनाने से नहीं चूक रहे है। इसका फायदा पार्टियों के वरिष्ठ नेता भी जमकर उठा रहे है।
एक तरफ जहां भाजपा हैट्रिक के लिए जूझ रही है तो वहीं कांग्रेस सत्ता में वापसी के लिए आतुर है। दस वर्षों के लगातार शासन के बाद भाजपा जनता की नाराजगी को भांपकर इस बार अपने पुराने नुमाइंदो के स्थान पर नए चेहरों पर दांव लगाने की पक्ष में है। ऐसे में भाजपा के 40 वर्तमान विधायकों में से 70 फीसदी का इसबार टिकट कट सकता है। परिवारवाद का विरोध करने वाली भाजपा विधानसभा चुनाव में हरियाणा के सांसद रिस्तेदारों को भी मैदान में उतार सकती है। अगर ऐसा होता है तो यह कदम भाजपा के लिए आत्मघाती सिद्ध हो सकता है। क्योंकि इससे सालों से भाजपा से जुड़े नेताओं में टिकट न मिलने से असंतोष हो सकता है। उधर, लोकसभा चुनाव में दस में से पांच सीटें जीतने से कोंग्रेसी नेता गदगद है। उनका मानना है कि राज्य में सत्ता विरोधी लहर है और कांग्रेस की पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनेगी। कांग्रेस आला कमान हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए टिकट वितरण में फूंक फूंक कर कदम रख रहा है। टिकट वितरण में जातिगत समीकरण को साधने के अलावा युवाओं और महिलाओं को भी पूरा प्रतिनिधित्त्व दिए जाने के स्पष्ट निर्देश कांग्रेस हाई कमान के है। गुटबाजी को लेकर भी पार्टी पूरी तरह अलर्ट है।
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