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हिरोशिमा दिवस - युद्ध नही बल्कि शांति से ही वैश्विक उन्नति और विकास

Posted by : pramod goyal on : Tuesday 6 August 2024 0 comments
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 सराय ख्वाजा फरीदाबाद के राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा की अध्यक्षता में जूनियर रेडक्रॉस, सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड और स्काउट्स ने हिरोशिमा दिवस पर  आह्वान किया कि युद्ध से किसी भी  विवाद का समाधान नहीं प्राप्त किया जा सकता है बल्कि शांति से ही वैश्विक उन्नति और असीमित विकास प्राप्त किया जा सकता है। सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड अधिकारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि परमाणु युग में अस्त्रों की स्पर्धा में विश्व में ऐसे राष्ट्र और व्यक्तियों का अभाव नहीं है जो व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए विश्व को परमाणु युद्ध की आग में झोंक सकते हैं। जूनियर रेडक्रॉस काउन्सलर प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा ने हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराए जाने के बारे में बताते हुए कहा कि आज से उन्नासी वर्ष पूर्व 6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा नगर पर परमाणु बम गिराया था। 6 अगस्त 1945 की प्रातः अमेरिकी वायु सेना ने जापान के हिरोशिमा पर परमाणु बम लिटिल बॉय गिराया था। इस के तीन दिन पश्चात ही जापान के अन्य नगर नागासाकी पर दूसरा परमाणु बम फैट मैन भी गिराया गया। दोनों नगरों को पूर्ण रूप से नष्ट कर दिया गया। हिरोशिमा का नव्वे प्रतिशत भाग नष्ट हो गया और मरने वालों की अनुमानित संख्या बहुत अधिक थी। जो बच गए उन का जीवन इस त्रासदी के साथ रहने के लिए अभिशप्त बन गया। हिरोशिमा नगर पर यूरेनियम बम गिराया गया था। इस बम के प्रभाव से बहुत बड़े क्षेत्र में विध्वंस मचाया गया। हिरोशिमा की साढ़े तीन लाख की जनसंख्या में से एक लाख चालीस हज़ार लोग एक साथ में मारे गए। इन मारे गए व्यक्तियों में अधिकतर साधारण नागरिक, बच्चे, बूढ़े तथा स्त्रियाँ एवम सैनिक थे। इसके बाद भी अनेक वर्षों तक अनगिनत व्यक्ति विकिरण के प्रभाव से मरते रहे। प्राचार्य मनचंदा ने कहा अब आधुनिक युग में अधिकतम देश परमाणु शक्ति सहित अन्य उन्नत तकनीक से संपन्न हैं तथा युद्ध के अन्य विध्वंसक साधनों से युक्त हैं। युद्ध होने की स्थिति में मानवता का सर्वनाश निश्चित है। वैश्विक शांति के लिए युद्ध जैसे विकल्पों का प्रयोग सर्वथा वर्जित किया जाना चाहिए क्योंकि युद्ध से किसी भी विवाद का समाधान नहीं किया जा सकता। प्राचार्य मनचंदा ने सुंदर संयोजन के लिए प्राध्यापक जितेंद्र गोगिया, दिनेश पी टी आई तथा प्राध्यापिका गीता का सृष्टि का विनाश करने वाले शास्त्रों को त्याग कर वैश्विक शांति बनाए रखने का संदेश देने के लिए स्वागत करते हुए आभार व्यक्त किया तथा कहा कि विकास और उन्नति केवल शांति से हो प्राप्त हो सकती हैं।

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