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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रथम वर्ष शिक्षित कार्यकर्ता व 45 साल से संघ से जुड़े समाजसेवी कैलाश शर्मा ने कहा है कि जन जनप्रतिथियों को फॉलोअर व कार्यकर्ताओं में फर्क सम
झना चाहिए। फॉलोअर व कार्यकर्ताओं में बहुत अंतर होता है। जब नेता कुर्सी पर बैठ जाता है तो उसको फॉलोअर घेर लेते हैं। जब सरकार चली जाती है तो फॉलोअर भी चलेे जातें हैं। लेकिन कार्यकर्ता हमेशा नेता का भला सोचता है इसलिए वह डटा रहता है। सांसद एमएलए मंत्री बनने के बाद जो जन प्रतिनिधि अपने कार्यकर्ताओं को ही श्रेष्ठ मानकर उनके काम करते हैं, उनकी मदद करते हैं वे आगे भी कार्यकर्ताओं की सहारे जन प्रतिनिधि बनते हैं लेकिन जीतने के बाद जो जनप्रतिनिधि कार्यकर्ताओं की जगह सिर्फ अपने फॉलोअर, अपने परिवारिजनों व उनको आर्थिक मदद करने वालों की ही मदद करते हैं,उनके सभी जायज नाजायज काम करने में देर नहीं लगाते हैं उनको सच्चे व निष्ठावान कार्यकर्ता आगे के चुनाव में बुरी तरह पराजित करते हैं। अभी हुए लोकसभा चुनाव में कार्यकर्ताओं ने ऐसा करके दिखाया भी है। हरियाणा में आगे होने वाले विधानसभा चुनाव में भी कार्यकर्ता अपने ऐसे जन प्रतिनिधियों को सबक सिखाने के लिए तैयार बैठे हैं।
कैलाश शर्मा ने कहा है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिली हार के बाद जब इसकी समीक्षा की गई तो पता चला कि सांसद विधायकों का अपने कार्यकर्ताओं से दूर चले जाना, उनके काम ना करना,उनको सम्मान नहीं देना,इसकी जगह दलबदलूओं,चापलूसों व चमचागिरी करने वालों के काम फटाफट करना नेताओं की हार का कारण बना। जिसका खामियाजा भाजपा को उठाना पड़ा। हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं अब सभी नेताओं को कार्यकर्ताओं की याद आयेगी। गलती सलती भी मानी जाएगी,आगे कार्यकर्ताओं को पूरा समान सम्मान मिलेगा, उनके काम किए जायेंगे ऐसा कहा जाएगा। पार्टी व संगठन का भी हवाला दिया जाएगा। इन बातों से भोले भाले कार्यकर्ता मान भी जाएंगे और एक बार फिर छले जाएंगे। नेता लोग हर चुनाव में यही हथकंडा अपनाते हैं और अपने मिशन में कामयाब भी हो जाते हैं लेकिन हमारा मानना है कि अगर पार्टी लाइन से हटना भी पड़े तो हटना चाहिए लेकिन एक बार ऐसे नेताओं को सबक जरूर सिखाना चाहिए, जैसा के लोकसभा चुनाव में कार्यकर्ताओं ने करके दिखाया है।
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