HEADLINES


More

उन्तालीसवां नेत्रदान पखवाड़ा - मृत्यु के छह घंटे तक हो सकता है नेत्रदान

Posted by : pramod goyal on : Tuesday 27 August 2024 0 comments
pramod goyal
Saved under : , ,
//# Adsense Code Here #//

 गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल सराय ख्वाजा फरीदाबाद में प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में जूनियर रेडक्रॉस, गाइड्स और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड ने उन्तालीसवें नेत्रदान पखवाड़े के शुभारंभ पर नेत्रदान जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम के बारे में जे आर सी एवम ब्रिगेड सदस्य छात्राओं को संबोधित करते हुए विद्यालय की जूनियर रेडक्रॉस और ब्रिगेड अधिकारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि नेत्रदान पखवाड़ा देश के नेत्रहीनता निवारण अभियान के अंतर्गत चलाया जा रहा है ताकि मरणोपरांत नेत्रदान द्वारा देश से दृष्टि विहीनता को समाप्त कि


या जा सके। उन्होंने कहा कि यदि किसी व्यक्ति के द्वारा जीवन में नेत्रदान की घोषणा न भी की गई हो फिर भी संबंधी, मित्र एवम घर के सदस्य मृत व्यक्ति का नेत्रदान कर सकते हैं। मृत्यु के छह घंटे तक नेत्रदान किया जा सकता है।

नेत्रदाता को मृत्यु पूर्व एड्स, पीलिया, कर्करोग, रेबीज सेप्टीसीमिया टिटनेस, हेपेटाइटिस तथा सर्पदंश जैसी बीमारी है तो उस अवस्था में नेत्र दान के लिए अयोग्य माने जाते हैं। नेत्रों की शल्य चिकित्सा उपरांत तथा स्पेक्स पहनने वाले व्यक्ति भी नेत्रदान कर सकते हैं। प्राचार्य मनचंदा ने विद्यार्थियों को बताया कि मधुमेह अर्थात डायबिटीज के रोगी भी नेत्रदान कर सकते हैं। निर्धन और विकासशील देशों में प्रमुख रुप से दृष्टिहीनता स्वास्थ्य समस्याओं में से एक बहुत बडी समस्या है। राष्ट्रीय दृष्टि विहीनता कार्यक्रम के अंतर्गत देश में पच्चीस अगस्त से आठ सितंबर तक राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा मनाया जाता है। सराय ख्वाजा फरीदाबाद के आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में आज विद्यार्थियों को नेत्रदान के बारे में विस्तार से बताया गया। प्राचार्य मनचंदा ने बताया कि परंपरागत रूप से प्रत्येक व्यक्ति जो नेत्रदान करता है वह दो नेत्रहीन व्यक्तियों को दृष्टि का उपहार प्रदान कर सकता है। कॉर्निया की कंपोनेंट सर्जरी के आने के साथ जिसमें एक विशिष्ट संकेत के लिए कॉर्निया की परत को ट्रांसप्लांट किया जाता है। इस का अर्थ है कि अस्वस्थ परत को स्वस्थ परत से बदल दिया जाता है जिससे दृष्टि सामान्य होती है। प्राचार्य मनचंदा ने कहा कि आवश्यकता है कि हम सभी अपने पारिवारिक सदस्यों एवं मित्रों और संबंधियों से मरणोपरांत नेत्रदान पर अपने विचार सांझा करें और नेत्रदान को पारिवारिक परंपरा बनाएं और अधिक से अधिक जनों को जागरूक करें ता कि देश से नेत्रहीनता की समाप्त किया जा सके। उन्होंने पोस्टर बना कर नेत्रदान के प्रति जागरूक करने वाले सभी विद्यार्थियों, प्राध्यापिका गीता, दीपांजलि, निकिता और हिमानी का आभार व्यक्त करते हुए शालू को प्रथम, मुस्कान को द्वितीय तथा चंचल को तृतीय घोषित किया।

No comments :

Leave a Reply