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मिड डे मील वर्कर्स यूनियन शिक्षा मंत्री के आवास पर विशाल प्रदर्शन करेगी

Posted by : pramod goyal on : Tuesday, 23 July 2024 0 comments
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 फरीदाबाद 23 जुलाई - मिड डे मील वर्कर्स का न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपए करने, वेतनमान 12 महीने मिले, बकाया वेतन का भुगतान करने, सेवानिवृत्ति की उम्र 65 साल करने सहित अन्य मांगों को लेकर 28 जुलाई को मिड डे मील वर्कर्स यूनियन हरियाणा शिक्षा मंत्री  के आवास पर विशाल प्रदर्शन करेगी। इस प्रदर्शन की तैयारी के लिए यूनियन की जिला प्रधान कमलेश और सीटू


के जिला सचिव वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने आज विभिन्न स्कूलों में जाकर  मिड डे मील वर्कर्स से संपर्क स्थापित किया। उन्होंने सीनियर सेकेंडरी स्कूल बड़खल, गर्ल और  बॉयज सीनियर सेकेंडरी  स्कूल एनआईटी नंबर तीन, के अलावा साहपुर, सागरपुर, ऊंचा गांव, पहलादपुर माजरा, डीग, में जाकर  वर्कर्स को इस कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान देने का आह्वान किया। उन्होंने बताया कि भाजपा की सरकार मिड डे मील वर्कर्स की समस्याओं की अनदेखी कर रही है। वर्कर गरीबी और आर्थिक तंगी की हालत झेल रहे हैं। इतनी महंगाई में जीवन चलाना बहुत मुश्किल हो गया है जबकि हमें न्यूनतम वेतन नहीं मिल रहा और मानदेय भी  साल में 10 महीने का ही मिलता है। यह साल के 12 महीने मिलना चाहिए। यही नहीं राज्य और केंद्र सरकार जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लेकर के आई है। उसमें कम बच्चों वाले स्कूलों को बंद किया जा रहा है। और स्कूल मर्ज भी किये जा रहे हैं। इससे हजारों मिड-डे-मील वर्करों का रोजगार समाप्त हो जाएगा। राज्य में भाजपा सरकार चिराग योजना लेकर आई है। इसमें बच्चों के माता-पिता को कहा जा रहा है। कि यदि वह अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में दाखिला करवाएंगे तो उन्हें सरकार प्रति बच्चा ₹1100 महीना देगी‌ जबकि खुद सरकार ने सरकारी मॉडल संस्कृति स्कूलों में बच्चों के लिए ₹500 प्रतिमाह फीस देने के लिए आडंबर किया है। इस सबके चलते एक तरफ मिड डे मील वर्कर्स का रोजगार कहां जाएगा और दूसरी तरफ  गरीबों को अपने बच्चों को पढ़ाने ‌में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। जनता ने भाजपा सरकार के दमनकारी रवैये के खिलाफ लोकसभा चुनाव में मतदान किया है। 400 पार का नारा देने वाली भाजपा के 2019 के चुनाव में 303 एमपी थे। जो घटकर अब 240 ही रह गए। सरकार बनाने के लिए उसे दूसरी पार्टियों का सहारा लेना पड़ा । इतना होने के बावजूद भी सरकार की नीतियों में कोई बदलाव नहीं दिखाई दे रहा है। निकट भविष्य में हरियाणा विधानसभा के चुनाव हैं। इसलिए राज्य की भाजपा सरकार तीसरी बार सत्ता में आने के लिए हाथ पैर मार रही है। लेकिन अभी भी वह स्कीम वर्कर्स, और मिड डे मील वर्कर और कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने, न्यूनतम वेतन में बढ़ोतरी करने जैसे मामलों पर चुप  है। रोजगार का भारी संकट है। पढ़े-लिखे युवा रोजगार की तलाश में दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। हरियाणा के विकास में मजदूरों और कच्चे कर्मचारियों का बहुत बड़ा योगदान है। लेकिन सरकार ने पिछले 9 सालों में इनकी मजदूरी में कोई इजाफा नहीं किया। मनरेगा में भी काम नहीं मिला। इसलिए आगामी विधानसभा चुनावों में सभी इसकी दमनकारी नीतियों का मुंहतोड़ जवाब देंगे।

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