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एक ओर हरियाणा सरकार प्रयास कर रही है कि सरकारी स्कूलों में अधिक से अधिक बच्चों के दाखिले हों तो दूसरी ओर सरकारी स्कूलों के मुखिया उन अभिभावकों के बच्चों को दाखिला देने से मना कर रहे हैं जिनके पास परिवार पहचान पत्र व आधार कार्ड नहीं है। हरियाणा अभिभावक एकता मंच का कहना है कि अप्रैल 2024 में ही शिक्षा विभाग पंचकूला ने हरियाणा के सभी जिला
शिक्षा अधिकारी व मौलिक जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देश जारी किए थे कि जिन बच्चों के पास परिवार पहचान पत्र व आधार कार्ड नहीं है उनको भी सरकारी स्कूलों में दाखिला दिया जाए। लेकिन स्कूल मुखिया इस आदेश को नहीं मान रहे हैं।
मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा व प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि शिक्षा का अधिकार कानून में प्रत्येक बच्चे को प्राइवेट व सरकारी स्कूल में दाखिला देना अनिवार्य किया गया है स्कूल संचालक व मुखिया किसी भी वजह का बहाना व उदाहरण देकर बच्चों को दाखिला देने से मना नहीं कर सकते हैं। उच्चतम न्यायालय भी कह चुका है कि स्कूलों में दाखिले के लिए आधार कार्ड अनिवार्य नहीं माना जाएगा। मंच के लीगल एडवाइजर एडवोकेट बी एस बिरदी ने कहा है कि मंच को कई अभिभावकों खासकर झुग्गी झोपड़ी स्लम बस्ती में रहने वाले व प्रवासी अभिभावकों ने बताया है कि उनके पास स्थाई मकान न होने के कारण उनका और उनके बच्चों का आधार कार्ड नहीं बन पा रहा है इसके कारण उनके बच्चों का दाखिला स्कूलों में नहीं हो रहा है।
मंच का कहना है कि जब सरकारी आदेश आ चुके हैं कि जिनके पास ना तो परिवार पहचान पत्र है और ना ही आधार कार्ड ऐसे बच्चों को भी दाखिला दिया जाए उसके बाबजूद स्कूल मुखिया का दाखिला देने से मना करना सरकारी आदेश की अवमानना है। मंच ने ऐसे स्कूल मुखियाओं के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की मांग की है।
मंच ने जिला शिक्षा अधिकारी से भी कहा है कि वह सरकारी स्कूलों में बिना आधार कार्ड व परिवार पहचान पत्र वाले बच्चों का भी दाखिला कराना सुनिश्चित करें।
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