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बजट में मांगों की अनदेखी से कर्मचारी वर्ग में भारी आक्रोश : सुभाष लांबा

Posted by : pramod goyal on : Tuesday, 23 July 2024 0 comments
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 फरीदाबाद,23 जुलाई। केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन द्वारा मंगलवार को पेश किए गए बजट में कर्मचारियों की सभी मांगों की अनदेखी से केंद्र एवं राज्य कर्मियों में भारी आक्रोश है। राज्य कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले सबसे बड़े संगठन अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने प्रतिक्रिया देते हुए बजट को कर्मचारी एवं मजदूर विरोधी और


कारपोरेट परस्त  बताया है। उन्होंने कहा कि यह बजट निजीकरण को बढ़ावा देने वाला है। 

राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री लांबा ने कहा कि बजट में कर्मचारियों की प्रमुख मांग आठवें पे कमीशन का गठन,पीएफआरडीए एक्ट रद्द कर पुरानी पेंशन बहाली, पुरानी पेंशन बहाली करने वाले राज्यो के पूर्व में कटौती किए गए अंशदान की वापसी, इपीएस 95 पेंशनर्स को पुरानी पेंशन के दायरे में लाने,आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर दस लाख करने,कोविड 19 में फ्रीज किए गए कर्मचारियों एवं पेंशनर्स के 18 महीने के डीए/डीआर का भुगतान, ठेका संविदा कर्मियों की रेगुलराइजेशन व समान काम समान वेतन व सेवा सुरक्षा प्रदान करने, पीएसयू का निजीकरण व सरकारी विभागों के आकार को सिकोड़ने तथा निगमीकरण पर रोक लगाने,पे कमीशन की सिफारिशों व डीए / डीआर के भुगतान के लिए राज्यों को विशेष फंड उपलब्ध कराने आदि मांगों को है ड्रेस ही नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार एवं पीएसयू में रिक्त पड़े करीब एक करोड़ पदों को पक्की भर्ती से भरने का भी कोई जिक्र नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ ने 9 जुलाई को केन्द्रीय वित्त मंत्री को पत्र लिखकर बजट में कर्मचारियों की उपरोक्त मांगों को संबोधित करने का आग्रह किया था। जिसकी पूरी तरह अनदेखी की है। दूसरी तरफ सरकार ने लेबल कोड्स को लागू करने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने बताया कि 13-14 जुलाई को राष्ट्रीय कार्यसमिति की हेदराबाद में होने वाली बैठक में पुनः राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करने पर फैसला लिया जाएगा।

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