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फरीदाबाद,21 जुलाई। सीटू हरियाणा के आह्वान पर रविवार को सैंकड़ों मजदूरों ने अपनी मांगों को लेकर श्रम मंत्री के विधान सभा क्षेत्र में प्रदर्शन करने पहुंचे। प्रदर्शन को प्रमुख रूप से सीटू हरियाणा महासचिव जय भगवान, राज्य अध्यक्ष सुरेखा, उपाध्यक्ष सतवीर सिंह, आल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्पलाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लाम्बा, निर्माण मजदूर यूनियन के अध्यक्ष सुखबीर सिंह, ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन के राज्य अध्यक्ष देवी राम, सीटू जिला प्रधान निरंतर पाराशर,सचिव वीरेंद्र डंगवाल ने संबोधित किया। प्रदर्शन के लिए मजदूर सेक्टर 12 टाउन पार्क में एकत्रित हुए और सीटू की राज्य अध्यक्ष सुरेखा की अध्यक्षता में आक्रोश सभा का आयोजन किया। मजदूर श्रम मंत्री पंडित मूलचंद शर्मा के आवास के लिए कूच करने की तैयारी कर ही रहे थे की अचानक श्रम मंत्री सेक्टर 12 मजदूर सभा में पहुंच गए। सीटू

के नेताओं ने मंत्री को मजदूरों एवं स्कीम वर्करों की लंबित मांगों का ज्ञापन सौंपा। श्रम मंत्री ने मजदूर सभा को संबोधित करते हुए आश्वासन दिया कि अगले सप्ताह चंडीगढ़ पहुंच कर मीटिंग का समय निश्चित किया जाएगा और ज्ञापन में लिखी मांगों का बातचीत से समाधान करने का प्रयास किया जाएगा।
मजदूर नेताओं ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा की प्रदेश के विकास में मजदूरों का सबसे बड़ा योगदान है। सरकार लाखों मजदूरों के श्रम की लूट कर रही है। 2014 में जब तत्कालीन सरकार ने न्युनतम वेतन रिवाइज किया तो यह देश में सबसे ऊपर के राज्यों में था। दिल्ली का वेतन भी कम था। आज हालत यह है कि दिल्ली में मजदूरों के लिए न्युनतम वेतन 17500 के करीब है और हरियाणा में करीब 10500 रूपये। यानी करीब 7000 रूपये कम। मजदूरों की यह लूट पूंजीपतियों के मुनाफे के लिए की जा रही ही। उन्होंने कहा कि हरियाणा के 14 जिले राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में आते हैं, इनमे न्यूनतम वेतन कायदे से दिल्ली के बराबर होना चाहिए। इसे केंद्र सरकार को भी देखना चाहिए।
संगठन नेताओं ने कहा कि भाजपा ने 2021 में मजदूरों को गुलाम बनाने के लिए चार लेबर कोड पारित किए थे। अब केंद्र की एनडीए सरकार इन्हे लागू करने जा रही है। ड्राइवर विरोधी और जनविरोधी प्रावधान के साथ भारतीय न्याय संहिता को लागू कर दिया। इन्हे तुरंत रद्द किया जाना चाहिए। मजदूर नेताओं ने कहा की देश बड़े बड़े कारपोरेट घरानों के लिए काम कर रही है। पिछले 10 साल में 17 लाख करोड़ से ज्यादा के बैंक के कर्जे माफ किए हैं। लेकिन लाखों कच्चे कर्मचारियों और स्कीम वर्कर्स को वेतन के लिए पैसे नहीं। उन्होंने कहा कि निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड को पंगु बना दिया गया है और सुविधाओं पर अघोषित ताला लगाया गया है। 90 दिन की वेरिफिकेशन का अधिकार यूनियनों से छीन लिया गया। राज्य के 11000 ग्रामीण सफाई कर्मचारी आंदोलन पर हैं कि उनका समाधान नहीं किया जा रहा। आंगनवाड़ी कर्मी, आशा वर्कर्स, मिड डे मील या राज्य के कच्चे कर्मचारी आज उनमें सरकार की नीतियां को लेकर भयंकर रोष है। लोकसभा चुनाव में मजदूरों ने अपने गुस्से का इजहार वोट के रूप में किया है। यदि लगातार अनदेखी की जाती रही तो भाजपा सरकार को सत्ता से बेदखल करने में मजदूर कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
प्रमुख मांगे
नेताओं ने श्रम मंत्री से मांग की गई की राज्य में मजदूरों के लिए 26000 रूपये न्यूनतम वेतन घोषित हो, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए बोर्ड बनें, निर्माण श्रमिको के बने बोर्ड के तहत सुविधाओं पर अघोषित पाबंदी हटे, भट्टा मजदूरों के लिए लिया बोर्ड पंजीकरण का कार्य अनुभव एक साल की बजाय 6 महीने हो। श्रम विभाग, सेफ्टी एंड हेल्थ में पर्याप्त ऑफिस व स्टाफ की भर्ती हो। स्कीम वर्कर्स और कच्चे कर्मचारियों को पक्का किया जाए, लेबर कोड्स और ड्राइवर विरोधी काले कानून रद्द किए जाए।
सभा को ऑटो रिक्शा यूनियन प्रधान भोपाल सिंह, आशा वर्कर्स जिला प्रधान हेमलता , सचिव सुधा, आंगनवाड़ी यूनियन सचिव देविद्री शर्मा, रिटायर्ड कर्मचारी संघ हरियाणा के जिला प्रधान नवल सिंह, सीटू के उपाध्यक्ष शिव प्रसाद, सुदर्शन, दयाराम, लेखराज आदि ने भी संबोधित किया।
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