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शिक्षा निदेशक पंचकूला ने 10 जुलाई को एक और रिमाइंडर पत्र निकालकर सीबीएसई व हरियाणा बोर्ड के सभी प्राइवेट स्कूलों से फॉर्म-6 के संदर्भ में पुनः सेल्फ डिक्लेरेशन फॉर्म 15 जुलाई तक जमा करने को कहा था। जिससे पता चल सके कि उन्होंने गत शिक्षा सत्रों के मुकाबले चालू शिक्षा सत्र 2024-25 में नए व पुराने छात्रों की फीस वृद्धि नियमों के अनुसार की है या नहीं और छात्रों को क्या क्या सुविधायें दी जा रही हैं, अध्यापकों को कितनी दी तनख्वाह दी जा रही है। पत्र के साथ 4 पेज का फॉर्मेट भी संलग्न किया गया। जो सेल्फ डिक्लेरेशन फॉर्म के साथ भेजना अनिवार्य किया गया। इससे पहले शिक्षा निदेशक ने 17 मई को आदेश निकालकर 31 मई तक सेल्फ डिक्लेरेशन फॉर्म मांगा था।
10 जुलाई के पत्र में शिक्षा निदेशक ने लिखा है कि प्राइवेट स्कूल संचालकों की मांग पर पुनः तारीख बढ़ाई गई है। पत्र में यह भी बताया गया है कि बार-बार तारीख बढ़ाने व रिक्वेस्ट करने के बावजूद अधिकांश प्राइवेट स्कूल संचालकों ने फार्म 6 के साथ सेल्फ डिक्लेरेशन फॉर्म या तो जमा नहीं कराया है और यदि जमा कराया है तो वह आधा अधूरा है।
हरियाणा अभिभावक एकता मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा व लीगल एडवाइजर एडवोकेट बी एस विरदी ने कहा है कि सरकार द्वारा बार-बार तारीख बढ़ाना प्राइवेट स्कूल संचालकों के आगे पूरी तरह से नतमस्तक होना दर्शाता है। मंच का आरोप है कि यह सब शिक्षा विभाग व प्राइवेट स्कूलों की आपसी सांठगांठ के चलते हो रहा है। मंच का कहना है कि नियमानुसार 31 मार्च से पहले सभी प्राइवेट स्कूलों को फॉर्म 6 पर मांगा गया सभी ब्यौरा शिक्षा निदेशक पंचकूला को ऑनलाइन व उसकी हार्ड कॉपी जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय को जमा करनी होती है। जिससे स्कूलों द्वारा बढ़ाई जा रही फीस की सत्यता व उसकी वैधानिकता की जांच हो सके। लेकिन पिछले 3 सालों से ऐसा नहीं हो रहा है। जब सभी प्राइवेट स्कूल 1अप्रैल से शुरू हुए शिक्षा सत्र में अभिभावकों से अपनी मर्जी से बढ़ाई गई ट्यूशन व दाखिला फीस तथा अन्य फंडों में तिमाही (अप्रैल मई-जून) फीस वसूल लेते हैं, अभिभावक स्कूल संचालकों की मनमानी फीस वृद्धि के शिकार हो चुके होते हैं। तब शिक्षा निदेशक द्वारा फार्म 6 के साथ सेल्फ डिक्लेरेशन फॉर्म पर पिछली व प्रस्तावित फीस व फंडस का ब्यौरा मांगा जाता है।
यह छात्र व अभिभावकों की आंखों में धूल झोंकना है। मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा, प्रदेश संरक्षक सुभाष लांबा ने कहा है कि स्कूल प्रबंधक जो भी फीस वृद्धि लिख देते हैं उसी को शिक्षा विभाग की मोन स्वीकृति मिल जाती है। जब फार्म 6 पर मांगे गए ब्यौरे का सत्यता व वैधानिकता की जांच होनी ही नहीं तो फार्म 6 को मांगने का औचित्य क्या है?
प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने मुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री से मांग की है कि शिक्षा विभाग व प्राइवेट स्कूलों की आपसी सांठगांठ के चलते फार्म 6 के संदर्भ में यह जो खेला हो रहा है उसकी एक उच्च स्तरीय जांच कराएं और शिक्षा विभाग के दोषी अधिकारियों व दोषी प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई करें।
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