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जे.सी. बोस विश्वविद्यालय में ‘भविष्य के लिए ऊर्जा’ विषय पर चर्चा का आयोजन

Posted by : pramod goyal on : Monday 27 May 2024 0 comments
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 फरीदाबाद, 27 मई - जे.सी. बोस विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद द्वारा ‘भविष्य के लिए ऊर्जा’ विषय पर संवाद सत्र का आयोजन किया गया। यह आयोजन पोखरण-2 परमाणु परीक्षण के प्रतीक के रूप में मनाये जाने वाले राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के उपलक्ष्य में किया गया था, जिसका उद्देश्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत की प्रगति का उत्सव मनाना है। कार्यक्रम हरियाणा राज्य विज्ञान, नवाचार और प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा प्रायोजित था।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में आईआ

ईआईटी ऊना (हिमाचल प्रदेश) के निदेशक प्रोफेसर मनीष गौड़ तथा एआईसीटीई के उप निदेशक डॉ. अमित दत्ता विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. सुशील कुमार तोमर ने की। कार्यक्रम का समन्वय इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संकाय (एफईटी) के डीन प्रो. राज कुमार ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ पारंपरिक दीप प्रज्ज्वलन समारोह के साथ हुआ। प्रोफेसर राज कुमार ने अतिथि वक्ताओं का स्वागत किया तथा अपने संबोधन में कार्यक्रम के एजेंडे और विषय के बारे में जानकारी दी। 

अपने संबोधन में कुलपति प्रो. सुशील कुमार तोमर ने 1998 के पोखरण परीक्षण के दौरान भारत के सामने आई चुनौतियों पर चर्चा की तथा लक्ष्य हासिल करने में देश के वैज्ञानिकों एवं तकनीकीविदों के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने तकनीकी प्रगति में मौलिक विज्ञान के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि देश के भविष्य को आकार देने में प्रौद्योगिकी की भूमिका महत्वपूर्ण है। प्रो. तोमर ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर प्रकाश डाला, जो शोधकर्ताओं को राष्ट्रीय विकास और सामाजिक कल्याण के लिए शोध एवं नवाचार में प्रोत्साहन देती है तथा उन्हें सक्षम बनाती है।
अपने संबोधन में मुख्य अतिथि प्रोफेसर मनीष गौड़ ने वैश्विक स्तर पर डेटा-संचालित प्रौद्योगिकी के महत्व पर बल दिया तथा विद्यार्थियों की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए बहु-विषयक कौशल को आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि तेजी से उभर रही एआई-आधारित प्रौद्योगिकियों के परिवर्तनकारी प्रभाव से रोजगार बाजार भी बदल रहा है। परमाणु प्रौद्योगिकी द्वारा ऊर्जा स्थिरता हासिल करने में फ्रांस का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए हमें इनोवेशन, डिजाइन और सोच के बारे में विचार करना होगा जो हमारे छात्रों की प्रतिभा दिशा देगा। उन्होंने वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान को बढ़ावा देने के प्रयासों के लिए विश्वविद्यालय की सराहना की और छात्रों से नवाचार एवं अनुसंधान को आगे बढ़ाने का आह्वान किया।
कार्यक्रम के अगले सत्र में एआईसीटीई के डॉ. अमित दत्ता ने सतत विकास के दृष्टिगत भविष्य के लिए ऊर्जा पर चर्चा की। इस दौरान शोधार्थियों ने कार्यक्रम की विषय-वस्तु पर अपने विचार रखे। कार्यक्रम का समापन डॉ. ओ.पी. मिश्रा के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

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