फरीदाबाद। उलटफेर नतीजे देने वाली फरीदाबाद लोकसभा सीट का चुनाव अब तक के सबसे कड़े मुकाबले में फंसा है। आप कितने ही लोगों से बात कर लीजिए। राजनीतिक विश्लेषकों की राय पर गुणा-भाग कर लें। सबका निचोड़ यही है कि इस बार भाजपा और कांग्रेस उम्मीदवारों के बीच कड़ी टक्कर है। जीत-हार का अंतर कुछ ही वोटों का रहने वाला है। कई समीकरणों ने फरीदाबाद के चुनाव को रोमांचक बनाने के साथ उलझा दिया है।
हैट्रिक की दहलीज पर खड़ी भाजपा ने इस बार भी दो बार चुनाव जीत चुके कृषणपाल गुर्जर पर ही दांव लगाया है। खुद को पार्टी का समर्पित सिपाही बताकर वह जनता से पीएम मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं। कांग्रेस ने भाजपा की हैट्रिक रोकने के लिए पांच बार विधायक रहे गुर्जर नेता महेंद्र प्रताप सिंह को उतारा है। दस लाख वोटों के अंतर् से जीतने का दावा करने वाले भाजपा प्रत्याशी कृषणपाल गुर्जर के सामने अब सीट बचाने का संकट है। वहीं शुरुआत में कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र प्रताप सिंह के समर्थन में जो वातावरण बना था, अब उसमे कृषणपाल गुर्जर सेंध लगाने में प्रयासरत है। भाजपा के चुनाव प्रचार से दूर आरएसएस के कार्यकर्त्ता भी अब मान मनोवल के बाद कृषणपाल गुर्जर के समर्थन में जुट गए है। यह बात अलग है कि वे इस बार चुनाव प्रचार में मन से लगे या फिर बेमन से। लेकिन इतना तय है कि फरीदाबाद का लोकसभा चुनाव मोड़ पर पहुंच गया है।
मतदान में एक सप्ताह का समय बचा है, जो दोनों दलों के प्रत्याशियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस एक सप्ताह में जो भी प्रत्याशी चुनाव मैदान में अपना वर्चस्व कायम रखेगा, वहीं फरीदाबाद का सिकंदर कहलाएगा।
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