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हरियाणा लोकसभा की दसों सीटों पर हुए मतदान के बाद राजनीतिक दल अपने-अपने समीकरण बनाने में जुट गए हैं। हालांकि, प्रदेश की अलग-अलग लोकसभा क्षेत्र और अलग-अलग बेल्ट हुए अलग-अलग मतदान ने दलों को उलझाकर रख दिया है। पिछले लोकसभा चुनावों के मुकाबले इस बार कुल मतदान कम होने को जहां भाजपा इसे अपने हक में मान रही है। भाजपा का मानना है कि इसका मतलब साफ है कि एंटी इंकमबेंसी जैसी कोई लहर नहीं थी।
दूसरी तरफ कांग्रेस को ग्रामीण क्षेत्रों में हुए अधिक मतदान से संजीवनी की उम्मीद है। खास बात ये रही कि किसान आंदोलन से प्रभावित इलाकों में मतदान अधिक हुआ है। अंबाला व सिरसा लोकसभा क्षेत्र इसके उदाहरण हैं। इन दोनों लोकसभा क्षेत्रों में प्रदेश में सबसे अधिक मतदान हुआ है और दोनों ही सीटें आरक्षित हैं। इनके अलावा, कुरुक्षेत्र और करनाल में भी इसका असर दिखा है।
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