फरीदाबाद। क्या भाजपा प्रत्याशी कृषणपाल गुर्जर के 6 लाख मतों के अंतर को पाट पायेंगे कांग्रेस के महेंद्र प्रताप ? यह चर्चा फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओंके अलावा राजनैतिक गलियारों में आम है। 2019 में भाजपा उम्मीदवार कृषणपाल गुर्जर ने कांग्रेस के अवतार सिंह भड़ाना को 6 लाख मतों सेअधिक के अंतर से पराजित किया था। यह ठीक है कि इस बार माहौल दूसरा है और कृषणपाल तीसरी बार चुनावी मैदान में, लेकिन इतने बड़े अंतर को पाट कर जीत दर्ज कराना कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र प्रताप के लिए आसान नहीं होगा। सट्टा बाजार भी अभी तक भाजपा उम्मीदवार को ही तीसरी बार चुनावी समर में काफी आगे बता रहा है।
कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र प्रताप चुनाव प्रचार में आगे है और कांग्रेस के सभी नेता एकजुट होकर उनके साथ खड़े है। लेकिन ये नेता उनके पक्ष में कितने वोट ट्रांसफर करा पाने में सक्षम होंगे, यह तो 4 जून को ही मालूम हो पायेगा। परन्तु इतना तय है कि वोटर अब काफी समझदार है और किसी भी नेता में अब वो ताकत नहीं रही कि वह किसी भी उम्मीदवार के समर्थन में मतों को ट्रांसफर करा सके। भाजपा प्रत्याशी कृषणपाल गुर्जर के खिलाफ केवल दो ही कारण है क़ि एक तो भाजपा नेताओं और लोगो में उनके प्रति नाराजगी और दूसरा भाजपा द्वारा तीसरी बार उसी चेहरे पर दाव लगाना। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति लोगों में अंडर करंट है।
भाजपा हो या फिर कांग्रेस उम्मीदवार दोनों को ही अपने दलों के नेताओं से अधिक खतरा हो सकता है। दोनों दलों में ऐसे विभीषण है, जो दिखावे के तौर पर तो अपने - अपने दलों के प्रत्याशियों के साथ है और उनके खर्चे पर चुनाव प्रचार में भी जुटे रहे। लेकिन अंदर खाने विपरीत दलों के उम्मीदवरों को जिताने में जी जान से जुटे है। वे नहीं चाहते कि उनके दल का प्रत्याशी चुनाव जीते, क्योंकि ऐसा होने पर उनकी अपनी राजनीती प्रभावित हो सकती है।
कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशी दोनों के ही समर्थक अपनी अपनी जीत का दावा कर रहे है। लेकिन इस बार चुनाव में मतदाता उदासीन है। मतदाता किस की चुनावी नैया पार लगायेगा, यह तो 4 जून को सबके सामने आ जाएगा। लेकिन इतना तय है कि फरीदाबाद का चुनाव नतीजा चौकाने वाला होगा और हार - जीत का अंतर् भी कम ही रहेगा।
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