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फरीदाबाद। महारानी वैष्णोदेवी मंदिर में नवरात्रों के आठवें दिन मां महागौरी की भव्य पूजा अर्चना की गई। प्रातकालीन आरती व हवन यज्ञ में माता के समक्ष पूजा अर्चना कर भक्तों ने अपनी हाजिरी लगाई। इस अवसर पर मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने हवन यज्ञ का शुभारंभ करवाया और भक्तों को नवरात्रों की शुभकामनाएं दी।
इस अवसर पर हरियाणा की शिक्षा राज्य मंत्री सीमा त्रिखा ने मां के दरबार में अपनी हाजिरी लगाई और पूजा अर्चना में शामिल होकर मां महागौरी का आ
शीर्वाद लिया. मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने श्रीमती तिरखा को स्मृति चिन्ह भेट किया और मां की चुनरी पहनाई एवं प्रसाद भेंट किया. इस अवसर पर श्री भाटिया ने भक्तों को मां महागौरी की महिमा से अवगत कराया. मंदिर में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए शिक्षा मंत्री सीमा त्रिखा ने कहा कि नवरात्रों के अवसर पर माता रानी से श्रद्धालु जो भी मुराद मांगते हैं वह अवश्य पूर्ण होती है. इसलिए वह भी देश और प्रदेश की अमन शांति के लिए विशेष तौर पर महारानी वैष्णो देवी मंदिर में माता से प्रार्थना करने आई हैं.
शीर्वाद लिया. मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने श्रीमती तिरखा को स्मृति चिन्ह भेट किया और मां की चुनरी पहनाई एवं प्रसाद भेंट किया. इस अवसर पर श्री भाटिया ने भक्तों को मां महागौरी की महिमा से अवगत कराया. मंदिर में उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए शिक्षा मंत्री सीमा त्रिखा ने कहा कि नवरात्रों के अवसर पर माता रानी से श्रद्धालु जो भी मुराद मांगते हैं वह अवश्य पूर्ण होती है. इसलिए वह भी देश और प्रदेश की अमन शांति के लिए विशेष तौर पर महारानी वैष्णो देवी मंदिर में माता से प्रार्थना करने आई हैं.
इस अवसर पर प्रधान जगदीश भाटिया ने बताया कि 15 अप्रैल सोमवार को रात्रि 8:00 बजे मंदिर संस्थान में माता की भव्य चौकी का आयोजन किया जाएगा. स्वामी बुद्धिराजा माता का गुणगान करेंगे. इस अवसर पर समाजसेवी राज मदान ने भी माता के दरबार में शीश नवाकर आशीर्वाद ग्रहण किया. इस अवसर पर श्री भाटिया ने बताया कि नवरात्रि में आठवें दिन महागौरी शक्ति की पूजा की जाती है। नाम से प्रकट है कि इनका रूप पूर्णतः गौर वर्ण है। इनकी उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी गई है।
अष्टवर्षा भवेद् गौरी यानी इनकी आयु आठ साल की मानी गई है। इनके सभी आभूषण और वस्त्र सफेद हैं। इसीलिए उन्हें श्वेताम्बरधरा कहा गया है। 4 भुजाएं हैं और वाहन वृषभ है इसीलिए वृषारूढ़ा भी कहा गया है इनको।
इनके ऊपर वाला दाहिना हाथ अभय मुद्रा है तथा नीचे वाला हाथ त्रिशूल धारण किया हुआ है। ऊपर वाले बाँये हाथ में डमरू धारण कर रखा है और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है।
इनकी पूरी मुद्रा बहुत शांत है। पति रूप में शिव को प्राप्त करने के लिए महागौरी ने कठोर तपस्या की थी। इसी वजह से इनका शरीर काला पड़ गया लेकिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इनके शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर कांतिमय बना दिया। उनका रूप गौर वर्ण का हो गया। इसीलिए ये महागौरी कहलाईं।
ये अमोघ फलदायिनी हैं और इनकी पूजा से भक्तों के तमाम कल्मष धुल जाते हैं। पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं। महागौरी का पूजन-अर्चन, उपासना-आराधना कल्याणकारी है। इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियां भी प्राप्त होती हैं। उन्होंने भक्तों से प्रार्थना की जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से माता महागौरी की पूजा कर और अपनी इच्छा मांगता है वह अवश्य पूर्ण होती है
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