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हरियाणा में कांग्रेस गुटबाजी चरम सीमा पर, कार्यकत्र्ता हताश- हरीश चन्द्र आज़ाद

Posted by : pramod goyal on : Monday 22 April 2024 0 comments
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 फरीदाबाद। समाजसेवी हरीश चन्द्र आज़ाद ने कहा है कि हरियाणा में कांग्रेस पार्टी की गुटबाजी चरम सीमा तक पहुंच गई है जिसकी वजह से 


प्रदेश में कांग्रेस अभी तक अपने उम्मीदवार घोषित नहीं कर पा रही है और इसके चलते कांग्रेस के कार्यकत्र्ता हताश हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की बार-बार मीटिंगों के बावजूद उम्मीदवारों पर सहमति नहीं बन पा रही है उससे साफ होता जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान दोनों गुटों के आगे लाचार  बेबस है इससे भी बड़ी बात यह है कि फरीदाबाद सीट से महेन्द्र प्रताप का नाम खुद हाई कमान ने सुझाया लेकिन भूपेन्द्र सिंह हुड्डा अपने समधी करण सिहं दलाल को लड़ाने पर अड़े हुए हैं जिससे साफ-साफ संदेश जाता है कि कांग्रेस पार्टी को भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने लाचार  बेबस बनाकर अपनी उंगलियों पर नचाया हुआ है।

हरीश आज़ाद ने कहा कि जो पार्टी एक छोटे से राज्य के अपने कार्यकारिणी सदस्यों से डरी हुई है उस पार्टी से विशाल हिन्दुस्तान की सरकार चलाने की कोर्ई कैसे उम्मीद कर सकता है। जिस पार्टी के हाई कमान का अपना कोई वजूद  हों वह इतने बड़े गठबंधन को कैसे संभाल सकेगा और ऐसी कमज़ोर हाईकमान वाली पार्टी के हाथों में देश की सरकार नहीं सौपी जा सकती है। उन्होंने कहा कि यह बातें मैं नहीं कह राहा हूँ बल्कि कांग्रेस हाईकमान स्वंम हरियाणा में अपने डर से यह संदेश दे रही है।

आज़ाद ने कहा कि विपक्ष का इतना ज्यादा कमज़ोर होना देशहित में नहीं है इससे केन्द्र सरकार की दादागिरी बड़ेगी। आज जिस तरह से पिछले पाँच वर्षों में विपक्ष की कमज़ोरी का फायदा उठाकर भाजपा सरकार हिटलरशही कर रही है उसे देखकर देशवासी विपक्ष की ओर उम्मीद लगाये बैठे थे लेकिन विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस को ऐसे लाचार  बेबस देखकर देशवासी अपने आप को इन पार्टियों की गंदी राजनितिक में फंसता हुआ महसूस कर रहे हैं और देश में बदलाव की उम्मीद लगाकर बैठा वोटर इन राजनितिक पार्टियों से खुद को ठगा हुआ महसुस कर रहा है।

हरीश आज़ाद ने कहा कि आज देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी जो अपनी कार्यकारिणी पर अपनी कमांड कमज़ोर कर चुकि है उससे देश में राजनितिक बदलाव देखने वाला मतदाता भी आहत में है और देश का सविधान भी खतरे में जा रहा है। उन्होंने कहा कि मेरे विचार किसी पार्टी के पक्ष या विपक्ष में नहीं हैं लेकिन इतिहास गवाह है कि परिवर्तन विकास का दूसरा नाम है और विकासशील देशों का इतिहास बताता है कि वहाँ कोई भी व्यक्ति अथवा पार्टी दो बार से ज्यादा सत्ता में नहीं रह सकती। यह हमारे देश का दुर्भागय है कि यहाँ बहुत सारे सविधान राजनितिक पार्टियों के हक में बनाये जाते हैं  कि देशहित में बनाये जाते हैं।

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