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महारानी वैष्णोदेवी मंदिर में नवरात्रों के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की भव्य पूजा अर्चना की गई

Posted by : pramod goyal on : Thursday 11 April 2024 0 comments
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 फरीदाबाद। महारानी वैष्णोदेवी मंदिर में नवरात्रों के तीसरे दिन  मां


चंद्रघंटा की भव्य पूजा अर्चना की गई। प्रातकालीन आरती व हवन यज्ञ में माता के समक्ष पूजा अर्चना कर भक्तों ने अपनी हाजिरी लगाई। इस अवसर पर मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने हवन यज्ञ का शुभारंभ करवाया और भक्तों को नवरात्रों की शुभकामनाएं दी। 

इस अवसर पर शहर के जाने माने उद्योगपति आर के बत्रा  , अनिल ग्रोवर, बंसी कुकरेजा, नीलम मनचंदा, शेर सिंह, अशोक नासवा, कुणाल औऱ नरेश कुमार ने माता के दरबार में हाजिरी लगाई और हवन में आहुति दी। उन्होंने मां चंद्रघंटा  की विशेष पूजा अर्चना में भी हिस्सा लिया तथा अपनी अरदास लगाई। मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने आए हुए अतिथियों को माता की चुनरी भेंट कर प्रसाद दिया।

 इस अवसर पर प्रधान श्री भाटिया ने श्रद्धालुओं को मां चंद्रघंटा की महिमा से अवगत करवाया. उन्होंने बताया कि मां दुर्गा की तीसरी शक्ति हैं चंद्रघंटा। नवरात्रि में तीसरे दिन इसी देवी की पूजा-आराधना की जाती है। देवी का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इसीलिए कहा जाता है कि हमें निरंतर उनके पवित्र विग्रह को ध्यान में रखकर साधना करना चाहिए। उनका ध्यान हमारे इहलोक और परलोक दोनों के लिए कल्याणकारी और सद्गति देने वाला है। इस देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है। इसीलिए इस देवी को चंद्रघंटा कहा गया है। इनके शरीर का रंग सोने के समान बहुत चमकीला है। इस देवी के दस हाथ हैं। वे खड्ग और अन्य अस्त्र-शस्त्र से विभूषित हैं।
सिंह पर सवार इस देवी की मुद्रा युद्ध के लिए उद्धत रहने की है। इसके घंटे सी भयानक ध्वनि से अत्याचारी दानव-दैत्य और राक्षस कांपते रहते हैं। 

 नवरात्रि में तीसरे दिन इसी देवी की पूजा का महत्व है। इस देवी की कृपा से साधक को अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं। दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है और कई तरह की ध्वनियां सुनाईं देने लगती हैं। इन क्षणों में साधक को बहुत सावधान रहना चाहिए। इस देवी की आराधना से साधक में वीरता और निर्भयता के साथ ही सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है। 

श्री भाटिया ने बताया कि हमें चाहिए कि मन, वचन और कर्म के साथ ही काया को विहित विधि-विधान के अनुसार परिशुद्ध-पवित्र करके चंद्रघंटा के शरणागत होकर उनकी उपासना-आराधना करना चाहिए। इससे सारे कष्टों से मुक्त होकर सहज ही परम पद के अधिकारी बन सकते हैं। यह देवी कल्याणकारी है।  उन्होंने बताया कि मां चंद्रघंटा की सचिन मन से पूजा अर्चना करने वाले भक्तों की हर मनोकामना आवश्यक पूर्ण होती है.

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