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श्रमिकों के कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए बैठक हुई

Posted by : pramod goyal on : Tuesday 19 March 2024 0 comments
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 फरीदाबाद 19 मार्च  श्रमिकों के कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए आज दतोंपथ ठेंगड़ी राष्ट्रीय श्रमिक एवं शिक्षा बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय वर्कबॉक्स प्लॉट नंबर 83, नजदीक एस एस  बी गेट  रेलवे रोड एन आई टी नंबर 5 में एक बैठक हुई। इस बैठक की अध्यक्षता अशोक कुमार स्टेट प्रधान बीएमएस ने की। बैठक में एटक के महासचिव बेचू गिरी, सीटू के जिला सचिव वीरेंद्र सिंह डंगवाल, एच एम एस के तृप्ति प्रसाद शर्मा, के अलावा डाक्टर राजेश शर्मा, पीआरओ विश्वकर्मा स्किल यूनिवर्सिटी, प्रमोद सचदेवा इंटीग्रेटेड एसोसिएशन ऑफ़ माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज, बैंक मैनेजर शशिकांत और बीएमएस के सचिव देवीलाल ने भाग लिया। बैठक के उद्देश्य पर बोर्ड के एजुकेशन ऑफीसर आदित्य भट्टाचार्य ने विस्तार से बात की। राष्ट्रीय श्रमिक शिक्षा एवं विकास बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी अमिताभ प्रकाश ने बताया कि इस    बोर्ड


  की यह 67 वीं बैठक है। श्रमिक शिक्षा बोर्ड के बारे में उन्होंने कहा कि इसका गठन 16 सितंबर 1958 में 15 वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश के अनुरूप भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा केंद्रीय श्रमिक शिक्षा बोर्ड के नाम से जिसे अब दत्तोंपतं ठेंगड़ी   राष्ट्रीय श्रमिक शिक्षा एवं विकास बोर्ड के नाम से जाना जाने लगा है। स्थापित किया गया था। विगत वर्षों से श्रमिक शिक्षा परिवार श्रमिक वर्ग के उत्थान के लिए अभूतपूर्व एवं सराहनी कार्य करने की दिशा में अग्रसर है। इन वर्षों में श्रमिक  शिक्षा परिवार, संगठित असंगठित तथा ग्रामीण क्षेत्र के श्रमिकों के लिए उल्लेखनीय कार्य किया है। श्रमिक शिक्षा श्रमिकों के कार्य क्षेत्र में गुणवत्ता लाने के साथ-साथ उनके व्यक्तिगत जीवन में भी गुणवत्ता लाने की दिशा में प्रयास रत है। श्रमिक जगत में नई लहर नई चेतना को विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है। श्रमिकों की चिंतन प्रक्रिया को इस तरह से ढालने का प्रयास है। कि श्रमिक वर्ग में राष्ट्र प्रेम, सेवा भावना, निष्ठा आदि मानवीय गुणों का सृजन हो सके। इतना ही नहीं श्रमिक शिक्षा एवं बोर्ड संगठित क्षेत्र के कार्यक्रमों व पाठ्यक्रमों में परिवर्तन कर अब इस बात पर भी जोर दे रहा है कि श्रमिक अंतरराष्ट्रीय बाजार में हुए परिवर्तन व प्रतिस्पर्धा को समझ कर अपनी भूमिका तय करें तथा उद्योगों में अपनी आवश्यकता एवं महत्व को बनाए रख सकें क्योंकि दो दशक पूर्व आर्थिक जगत में न केवल हमारे देश में बल्कि पूरे विश्व में अमूलचूल परिवर्तन बड़े ही तेजी से हुए हैं। जिससे भारत अपने आप को अछूता नहीं रख सकता है। परिणाम स्वरुप 1991 में तत्कालीन सरकार ने अपनी आर्थिक और औद्योगिक नीतियों में आमूल चूल परिवर्तन किया। जिससे श्रमिक जगत भी प्रभावित होने लगा है ।जहां पूर्व में श्रमिक शिक्षा एवं बोर्ड के श्रमिकों के उत्तरदायित्व के साथ-साथ अधिकारों के प्रति अधिक जागरूकता फैलाई, वहीं अब श्रमिकों को बदलते हुए परिस्थितियों में अपने आप को ढालने के लिए तैयार करने का कार्य करना चाहिए। एजुकेशन ऑफीसर आदित्य भट्टाचार्य ने विगत वर्षों में किए गए कार्यक्रमों  के बारे में बताया तथा भविष्य में और अधिक टारगेट प्राप्त करने का लक्ष्य रखा। बैठक में सीटू के जिला सचिव वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने इस बात पर जोर दिया कि जहां एक तरफ श्रमिकों के कौशल विकास को बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ उनको मिलने वाली सुविधाओं में हो रही कटौतियों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।

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