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फरीदाबाद: पुलिस आयुक्त राकेश कुमार आर्य ने राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान में भारतीय झंडा संहिता में निहित दिशा निर्देश की पालना मे राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान मे निर्देश जारी किए हैं जिसमें तिरंगे झंडे की मान मर्यादा रखने के विषय में आमजन को जानकारी प्रदान की जाती है।
राष्ट्रीय ध्वज हमारे देश के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है इसलिए हमें इसका सम्मान करना चाहिए। राष्ट्रीय ध्वज के लिए एक सार्वभौमिक लगाव और आदर तथा वफादारी होती है। इसलिए राष्ट्रीय झंडे के संप्रदर्शन पर लागू होने वाले कानून, प्रथाओं और परंपराओं के संबंध में आमजन को जागरूक करना अति आवश्यक है। तिरंगे झंडे के सम्मान के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं जिनका हर भारतीय को पालन करना चाहिए।
-जनता द्वारा कागज के बने राष्ट्रीय झंडों को महत्वपूर्ण रा
ष्ट्रीय संस्कृत और खेलकूद के अवसरों पर हाथ में लेकर फहराया जा सकता है। समारोह के पूरा होने के पश्चात राष्ट्रीय ध्वज को ना तो विकृत किया जाए और नहीं जमीन पर फेंका जाए। ऐसे झंडों का निपटान उनकी मर्यादा के अनुरूप एकांत में किया जाना चाहिए
ष्ट्रीय संस्कृत और खेलकूद के अवसरों पर हाथ में लेकर फहराया जा सकता है। समारोह के पूरा होने के पश्चात राष्ट्रीय ध्वज को ना तो विकृत किया जाए और नहीं जमीन पर फेंका जाए। ऐसे झंडों का निपटान उनकी मर्यादा के अनुरूप एकांत में किया जाना चाहिए
-राष्ट्रीय ध्वज हमारे गौरव का प्रतीक है और सबके मन में राष्ट्रीय ध्वज के लिए प्रेम आदर और निष्ठा होनी चाहिए। यह भारत के लोगों की भावनाओं और मानस में एक अद्वितीय और विशेष स्थान रखता है
-राष्ट्रीय झंडे का आकार आयताकार होना चाहिए। यह किसी भी माप का हो सकता है परंतु झंडे की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 ही होना चाहिए।
-जब कभी राष्ट्रीय झंडा फहराया जाए तो उसकी स्थिति सम्मानजनक और पृथक होनी चाहिए
-फटा हुआ और मैला कुचेला झंडा कभी भी प्रदर्शित नहीं किया जा सकता
-झंडे को किसी अन्य ध्वज के साथ एक ही ध्वजदंड से नहीं फहराया जाए
-राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल इत्यादि गणमान्य व्यक्तियों के सिवाय झंडे को किसी वाहन पर नहीं फहराया जाए
-किसी दूसरे झंडे या पताका को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा या उससे ऊपर या उसके बराबर में नहीं लगा सकते
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