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फरीदाबाद 26 मार्च वाईएमसीए मिल कमेटी ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर उनकी जायज मांगों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि यूनियन के द्वारा दिए गए मांग पत्र पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। यूनियन के प्रधान लेखराज ने कहा कि जो कर्मचारी हरियाणा कौशल रोजगार निगम के तहत कार्यरत हैं। उन्हें 58 वर्ष में ही रिटाय
र कर दिया जाता है। जबकि हरियाणा सरकार के नियमों के अनुसार ग्रुप डी में कार्यरत कर्मचारियों को 60 वर्ष की उम्र के बाद सेवानिवृत किया जाता है। प्रधान लेखराज ने यह भी बताया कि रिटायरमेंट के वक्त उन्हें किसी भी प्रकार का लाभ प्राप्त नहीं होता। विश्वविद्यालय प्रशासन सेवानिवृत होने वाले कर्मचारी को ग्रेजुएटी और अवकाश के बदले मिलने वाली धनराशि भी नहीं देता है। सारा जीवन यूनिवर्सिटी में लगाने के बाद कर्मचारी बगैर किसी सुविधा के सेवानिवृत्ति कर दिया जाता है। उन्हें कोई भी लाभांश नहीं मिलते हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा बीमार होने पर कर्मचारियों का इलाज तक नहीं किया जाता है। उनको चिकित्सा भत्ता भी नहीं मिलता है अनेकों बार मांग पत्र देने के बाद भी कर्मचारियों को पहचान पत्र नहीं दिए गए हैं। जबकि प्रशासन कर्मचारियों को परीक्षा के दिनों में सवेरे जल्दी और शाम को देर तक छोड़ता है। ऐसे में जब कर्मचारी घर को जाता है। तो उन्हें रास्ते में पुलिस रोकती है। ऐसे में कर्मचारियों के पास पहचान पत्र नहीं होने की वजह से पुलिस वाले उन्हें तंग करने लगते हैं। लेकिन इस तरफ सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है। सीटू के जिला सचिव वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने बताया कि यूनियन के सक्रिय कर्मचारीयों और पदाधिकारीयों ने 23 मार्च को शहीदी दिवस के मौके पर इन जायज मांगों को लेकर प्रदर्शन भी किया था। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन पर वर्षों से दैनिकवेतन पर काम कर रहे मजदूरों को रेगुलर नहीं करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि वाईएमसीए में कई वर्षों से कर्मचारी रेगुलर होने की बाट जोह रहे हैं। लेकिन प्रशासन उनको पक्का करने के लिए रिकार्ड तैयार करके सरकार से मंजूरी नहीं लेता है। दूसरी तरफ विश्वविद्यालय प्रशासन अन्य पदों पर नई भर्तियां लगातार करता रहता है। उन्होंने विश्वविद्यालय में कार्यरत कर्मचारियों के सवाल पर पारदर्शिता नहीं होने का आरोप लगाया है। जिला सचिव ने कहा कि कर्मचारियों को सेवानिवृत होने पर ग्रेजुएटी देने और छुट्टियों के बदले धनराशि प्रदान करने की मांग को लेकर यूनियन आंदोलन चलाएगी। इस संघर्ष को सीटू पूरी तरह से समर्थन देगा।
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