फरीदाबाद। बिना हथियार कैसे लड़ेगी चुनाव कांग्रेस की फौज ? जी हां यह एक ऐसा दक्ष प्रश्न है, जिसका जबाव कांग्रेस आला कमान को जल्द खोजना होगा। अन्यथा इस बार भी चुनावों में कांग्रेस को अपेक्षित परिणामो मिलना मुश्किल हो जायेगा। यहां फ़ौज से हमारा हमारा अर्थ कांग्रेस प्रत्याशियों से और हथियार का अर्थ संगठन और उससे जुड़ने वाले कार्यकर्ताओं से है।
काफी लम्बे अरसे कांग्रेस का ना तो जिला संघठन बन पाया है और न ब्लॉक संघठन। बार बार चर्चा तो शुरू होती है, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात रहता है। अगर जिला स्तर व ब्लॉक स्तर पर संघठन नहीं होगा तो कार्यकर्त्ता भी कांग्रेस से नहीं जुड़ पायेंगे। ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशियों को प्रचार में तो नुकसान उठाना पड़ेगा ही, साथ ही मतदान के समय मतदाताओं को बूथ तक पहुंचाने का कार्य भी सुगम नहीं होगा। इसके विपरीत भाजपा ने पन्ना प्रमुख तक बना दिए है। जिन्होंने अभी से मतदाताओं तक सम्पर्क करना भी शुरू कर दिया है। भाजपा कार्यकर्त्ता गली मौहल्ले तक अपनी पैठ बनाने में जुटे है। जबकि वर्तमान हालत में कांग्रेस नेताओं के पास कार्यकर्ताओं के नाम पर अपने निजी समर्थक ही है। अभी तो सभी कांग्रेस नेता चुनावों में अपनी टिकट की बाट में लगे हुए है और उनके समर्थक भी नजर आ रहे है। लेकिन टिकट वितरण होने की सूरत में प्रतियाशी के पास केवल अपने समर्थक ही रह जायेंगे।
अगर कांग्रेस को मजबूती से चुनाव लड़ना है तो पहले जिला स्तर पर अपने संघठन का विस्तार करना होगा। इससे पहले भी जब कांग्रेस सत्ता तक पहुंचती थी तो इसके पीछे कांग्रेस का मजबूत संघठन होता था। जिला से लेकर ब्लॉक स्तर और सेवा दल के अलावा विभिन्न प्रकोष्ठ कांग्रेस कार्यकर्त्ता चुनाव में अपनी महत्वपूर्ण भागेदारी निभाते थे।
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