//# Adsense Code Here #//
फरीदाबाद 23 फरवरी जॉइंट ट्रेड यूनियन काउंसिल फरीदाबाद के बैनर तले आज सैकड़ो मजदूर कर्मचारियों ने केंद्र और राज्य सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ काला दिवस बनाया।और प्रदेश के मुख्यमंत्री का पुतला फूंका। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आज प्रातः फरीदाबाद के विभिन्न यूनियनों के कार्यकर्ता सेक्टर 12 में राजस्थान भवन के सामने एकत्रित हुए। यहां पर एक विशाल सभा की हुई। इसकी अध्यक्षता
एटक के जिला प्रधान विशंभर सिंह,इंटक के जिला प्रधान हुकमचंद बैनीवाल, एचएमएस के राज्य प्रधान एस डी त्यागी, सीटू के जिला प्रधान निरंतर पाराशर, सर्व कर्मचारी संघ के जिला प्रधान करतार सिंह जागलान और इक्टू के प्रधान कामरेड जवाहरलाल ने संयुक्त रूप से की। इसका संचालन कन्वीनर वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने किया। इस काले दिवस के मौके पर आयोजित विरोध सभा को एटक के आर एन सिंह,एच एम एस के एस डी त्यागी, सीटू के के पी सिंह, किसान सभा और रिटायर कर्म
चारी संघ के प्रधान नवल सिंह, सर्व कर्मचारी संघ के जिला सचिव युद्धवीर खत्री ने संबोधित किया। प्रदर्शनकारियों के हाथों में काले झंडे थे। सभी वक्ताओं ने 21फरवरी को खनोरी बार्डर पर एम एस पी सहित अन्य मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे किसानों पर हरियाणा सरकार की पुलिस के द्वारा गोली चलाने से युवा किसान नेता शुभकरण सिंह को मौत के घाट उतारने की कठोर शब्दों में निन्दा की । इस घटनाक्रम के लिए जिम्मेदार अफसरों और सरकार के नुमाइंदों के विरुद्ध हत्या का मुकदमा चलाने और शुभकरण के परिजनों को एक करोड़ रुपए का मुआवजा देने की मांग भी रखी गई। पुलिस के द्वारा की गई फायरिंग में दर्जनों किसान घायल हो गये। सभी नेताओं ने हरियाणा पुलिस की इस कार्रवाई को पूर्व नियोजित बताते हुए कहा कि राज्य सरकार को नेशनल हाईवे पर कटीले तारों, सड़कों पर कीलें और बड़ी-बड़ी दीवारें खड़ी नहीं करनी चाहिए थी। क्योंकि पंजाब के किसान भी देश के नागरिक हैं। उन्हें अपनी मांगों को केंद्र सरकार के सामने रखने का पूरा अधिकार है। उनको रास्ते में रोक कर बेरिकेट लगाने का कोई औचित्य नहीं बनता है। इतना ही नहीं हरियाणा की पुलिस ने ड्रोन की मदद से खनौरी और शंभू सीमाओं पर किसानों पर लाठीचार्ज, प्लास्टिक की गोलियों और अश्रु गैस के जहरीले गोले भी बरसाएं हैं। यह राज्य और केंद्र सरकार का अशोभनीय कदम है। दोनों सरकारों को हठधर्मिता का रास्ता छोड़कर किसानों की मांगों को लागू करना चाहिए। क्योंकि देश के प्रधानमंत्री ने जब नवंबर 2021 में तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी। तभी उन्होंने एमएसपी सहित दूसरी मांगों को लेकर कमेटी बनाने का आश्वासन दिया था। पहले कमेटी ही काफी विलंब से बनाई गई। जुलाई 2022 में इसका गठन हुआ। पहली बैठक अगस्त 2022 में हुई। इसके बाद अनेक बैठकों के होने के बावजूद भी वार्तालाप बेनतीज रही। 2 साल तक इंतजार करने के बाद जब किसानों ने आंदोलन का ऐलान किया तो सरकार ने उनकी मांगों को लागू करने के बजाय आंदोलनकारीयों का दमन उत्पीड़न करना शुरू कर दिया। जिसका लोकतंत्र में कोई जगह नहीं है। किसानों के साथ इस तरह का बर्ताव करना किसी भी तरह से जायज नहीं है। आज की प्रदर्शन में राजपाल डांगी,बैजू सिंह , सुधा,शुशीला, पूजा , धर्मवीर वैष्णव, मुकेश, जगदीश चंद्र, हितेश शर्मा, देवी सिंह,राज कुमार, राज बेल देशवाल, अजीत, सुभाष विधूड़ी, लालाराम, श्याम बाबू, सुरेश, जयपालसिंह चौहान, भोपाल सिंह रावत सहित अन्य नेता भी उपस्थित रहे।
चारी संघ के प्रधान नवल सिंह, सर्व कर्मचारी संघ के जिला सचिव युद्धवीर खत्री ने संबोधित किया। प्रदर्शनकारियों के हाथों में काले झंडे थे। सभी वक्ताओं ने 21फरवरी को खनोरी बार्डर पर एम एस पी सहित अन्य मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे किसानों पर हरियाणा सरकार की पुलिस के द्वारा गोली चलाने से युवा किसान नेता शुभकरण सिंह को मौत के घाट उतारने की कठोर शब्दों में निन्दा की । इस घटनाक्रम के लिए जिम्मेदार अफसरों और सरकार के नुमाइंदों के विरुद्ध हत्या का मुकदमा चलाने और शुभकरण के परिजनों को एक करोड़ रुपए का मुआवजा देने की मांग भी रखी गई। पुलिस के द्वारा की गई फायरिंग में दर्जनों किसान घायल हो गये। सभी नेताओं ने हरियाणा पुलिस की इस कार्रवाई को पूर्व नियोजित बताते हुए कहा कि राज्य सरकार को नेशनल हाईवे पर कटीले तारों, सड़कों पर कीलें और बड़ी-बड़ी दीवारें खड़ी नहीं करनी चाहिए थी। क्योंकि पंजाब के किसान भी देश के नागरिक हैं। उन्हें अपनी मांगों को केंद्र सरकार के सामने रखने का पूरा अधिकार है। उनको रास्ते में रोक कर बेरिकेट लगाने का कोई औचित्य नहीं बनता है। इतना ही नहीं हरियाणा की पुलिस ने ड्रोन की मदद से खनौरी और शंभू सीमाओं पर किसानों पर लाठीचार्ज, प्लास्टिक की गोलियों और अश्रु गैस के जहरीले गोले भी बरसाएं हैं। यह राज्य और केंद्र सरकार का अशोभनीय कदम है। दोनों सरकारों को हठधर्मिता का रास्ता छोड़कर किसानों की मांगों को लागू करना चाहिए। क्योंकि देश के प्रधानमंत्री ने जब नवंबर 2021 में तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी। तभी उन्होंने एमएसपी सहित दूसरी मांगों को लेकर कमेटी बनाने का आश्वासन दिया था। पहले कमेटी ही काफी विलंब से बनाई गई। जुलाई 2022 में इसका गठन हुआ। पहली बैठक अगस्त 2022 में हुई। इसके बाद अनेक बैठकों के होने के बावजूद भी वार्तालाप बेनतीज रही। 2 साल तक इंतजार करने के बाद जब किसानों ने आंदोलन का ऐलान किया तो सरकार ने उनकी मांगों को लागू करने के बजाय आंदोलनकारीयों का दमन उत्पीड़न करना शुरू कर दिया। जिसका लोकतंत्र में कोई जगह नहीं है। किसानों के साथ इस तरह का बर्ताव करना किसी भी तरह से जायज नहीं है। आज की प्रदर्शन में राजपाल डांगी,बैजू सिंह , सुधा,शुशीला, पूजा , धर्मवीर वैष्णव, मुकेश, जगदीश चंद्र, हितेश शर्मा, देवी सिंह,राज कुमार, राज बेल देशवाल, अजीत, सुभाष विधूड़ी, लालाराम, श्याम बाबू, सुरेश, जयपालसिंह चौहान, भोपाल सिंह रावत सहित अन्य नेता भी उपस्थित रहे।
No comments :