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रामायण के मूल्यों को सीखकर ही बनाया जा सकता है राम राज्य - अमोघ लीला प्रभु

Posted by : pramod goyal on : Friday 2 February 2024 0 comments
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 फरीदाबाद, 2 फरवरी - जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के छात्र कल्याण कार्यालय द्वारा द्वारा ‘वास्तविक राम राज्य’ विषय पर चर्चा के लिए संकल्प कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (इस्कॉन) के प्रेरक वक्ता अमोघ लीला प्रभु मुख्य वक्ता रहे। सत्र में इस्कॉन से अरविंदाक्ष माधव प्रभु भी मुख्य रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन छात्र कल्याण कार्यालय के अंतर्गत विद्यार्थी क्लब एथिकक्राफ्ट द्वारा विवेकानंद सभागार में किया गया। कुलसचिव डाॅ मेहा शर्मा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। 

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलसचिव डाॅ मेहा शर्मा ने कहा कि युवाओं के पथ-प्रदर्शन में आध्यात्मिक गुरूओं और प्रेरक वक्ताओं की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्होंने विद्यार्थियों के मार्गदर्शन के उद्देश्य से आयोजित कार्यक्रम की सराहना की तथा कार्यक्रम को सफल बना

ने में इस्कॉन द्वारा प्रदान सहयोग के लिए आभार जताया। उन्होंने प्रेरक वक्ताओं अमोघ लीला प्रभु और अरविंदाक्ष माधव प्रभु को स्मृति चिह्न भेंट किये। इसके उपरांत इस्कॉन में उपदेशक कृष्ण जोशी द्वारा प्रस्तुत ‘हरे कृष्णा’ रैप सांग जोकि भागवत गीता के एक अध्याय पर आधारित था, ने श्रोतागण को लुभाया। 

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण अमोघ लीला प्रभु के उपदेश रहे, जिन्होंने अपने सुविचारों से युवाओं को न केवल जोड़ा बल्कि जिंदगी को बेहतरीन तरीके से जीने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि श्री राम ने मूल्यवान वस्तुओं की तुलना में मूल्यों को अधिक महत्व दिया, दूसरी ओर रावण ने मूल्यों की तुलना में मूल्यवान वस्तुओं को अधिक महत्व दिया, लेकिन फिर भी लंका दहन हुआ। राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा को महत्वपूर्ण अवसर बताते हुए उन्होंने युवाओं को राम राज्य की वास्तविक परिकल्पना से परिचित करवाया और उन्हें जीवन में सही पथ पर अग्रसर होने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने विस्तार से चर्चा की कि वे कैसे राम राज्य की स्थापना में अपना योगदान दे सकते है। इस दौरान उन्होंने उत्साह से भरे श्रोताओं के अनेकों प्रश्नों को सुना और अपने आध्यात्मिक अनुभव से उनका उत्तर दिया। उन्होंने  युवाओं को रामायण और भागवत ज्ञान के कई प्रसंगों से जोड़ा। मुख्यतः उनका प्रवचन रिश्तों को सफल बनाने में त्याग, समर्पण, आपसी सम्मान-प्रशंसा, माफी के महत्व पर केंद्रित रहा। उन्होंने बताया कि किस तरह रिश्तों को प्रेम के साथ त्याग, आपसी सम्मान-प्रशंसा, माफी से सींच कर प्रबल बनाया जा सकता है। उन्होंने एक सैंडविच फॉर्मूला (प्रशंसा, स्पष्टीकरण, प्रशंसा) पर भी विस्तार से चर्चा की जिससे उन्होंने बताया कि कैसे हम किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाए बिना उन्हें जीवन के किसी भी क्षेत्र में सुधार के लिए प्रेरित कर सकते हैं। श्रोताओं ने अपनी भावनाएं ‘हरी बोल’ की गूंज के साथ व्यक्त की। 
कार्यक्रम के दौरान 500 भगवद गीता की पुस्तकें निःशुल्क बांटी गईं। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अरविंददक्ष माधव प्रभु ने भागवत गीता पाठ्यक्रम के बारे में जानकारी दी तथा युवाओं को पाठ्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम के दौरान छात्रा वंशिका द्वारा प्रस्तुत शास्त्रीय नृत्य ने सभी को मंत्रमुग्ध किया। कार्यक्रम के अंत में मंत्र रॉक शो हुआ, जिसमें सभी छात्रों ने उत्साह के साथ हिस्सा लिया। विद्यार्थी क्लब एथिकक्राफ्ट की ओर से कार्यक्रम का सफल संचालन रजत, प्रदुम्न और दीपांशु ने किया। 

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