हरियाणा सहकारिता विभाग की एकीकृत सहकारी विकास परियोजना (आईसीडीपी) में हुए करोड़ों रुपये के घोटाले के बाद सरकार ने इस परियोजना को बंद कर दिया है। साथ ही, इस मामले में अब मुख्यालय स्तर के अधिकारियों पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है।
एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने गिरफ्तार अधिकारियों व ठेकेदार से रिमांड के दौरान अहम सबूत जुटाए हैं। गुरुग्राम, अंबाला और करनाल एसीबी की टीमें दस्तावेजों को भी खंगाल रही हैं। अब तक की जांच में सामने आया है कि मुख्यालय स्तर के अधिकारियों की मिलीभगत से ही घोटाले को अंजाम दिया गया।
फर्जी बिल लगाए गए और ऑडिटरों द्वारा उसे सही करार देकर घोटाले को महीनों तक जारी रखा गया। इसके बाद आईसीडीपी योजना के नोडल अधिकारी व विभाग के अतिरिक्त निदेशक नरेश गोयल समेत अन्य पर मुकदमा दर्ज कर उनको गिरफ्तारी किया जा सकता है। घोटाला सामने आने के बाद उनको पिछले साल जुलाई में ही बर्खास्त कर दिया गया था।
इसी बीच, एसीबी को अधिकारियों और ठेकेदार में हुई वाट्सअप चैट भी मिसी है। इस चैट में अधिकारियों को पैसों के लेन-देन समेत बिलों के भुगतान का पूरा ब्यौरा है। इसी चैट को आधार बना एसीबी ने अंबाला और करनाल में तीन-तीन नए केस दर्ज कर चार अधिकारियों को गिरफ्तार किया। एसीबी के सूत्रों का दावा है कि जल्द ही एक और नया केस दर्ज किया जाना है। इसके लिए सबूत जुटाए जा रहे हैं।
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