फ़रीदाबाद/20 जनवरी, 2024: अमृता हॉस्पिटल, फ़रीदाबाद में दो मरीज़ों में सफलतापूर्वक हाथ-प्रत्यारोपण किया गया है, जिनमें से एक रोगी 64 वर्ष का है और दूसरा 19 वर्ष का हैै। उत्तर भारत में पहली बार ऐसी सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया है। गौरतलब है कि भारत में ऐसा
पहला मामला है और दुनिया भर ऐसा दूसरा मामला है, जहां किडनी-प्रत्यारोपण कराने वाले व्यक्ति मंे हाथ प्रत्यारोपण किया गया है। दोनों में जटिल हाथ-प्रत्यारोपण सर्जरी लगभग 17 घंटे तक चली और ये सर्जरी दिसंबर 2023 के अंतिम सप्ताह में की गईं।
दिल्ली के रहने वाले 64 वर्षीय मरीज गौतम तायल का 10 साल पहले किडनी प्रत्यारोपण हुआ था, जिसके कारण वह पहले से ही इम्यूनोसप्रेसेन्ट पर थे। लगभग दो साल पहले, एक कारखाने में एक औद्योगिक दुर्घटना में उन्होंने बायें हाथ की कलाई के आगे के हिस्से को खो दिया था। प्रत्यारोपण में जो हाथ प्रत्यारोपित किया गया वह एक 40 वर्षीय व्यक्ति का था जिसे सिर में चोट लगने के कारण ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था। उसकी मृत्यु के तुरंत बाद मृत व्यक्ति का परिवार उदारतापूर्वक उसके हाथों सहित उसके विभिन्न अंगों को दान करने के लिए सहमत हो गया। दान किया गया हाथ मुंबई के पास ठाणे से फ़रीदाबाद ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने तुरंत हाथ को प्रत्यारोपित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी।
अमृता हॉस्पिटल, फ़रीदाबाद में सेंटर फॉर प्लास्टिक एंड रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी के प्रमुख डॉ. मोहित शर्मा ने कहा, ‘‘यह न केवल उत्तर भारत का पहला हाथ प्रत्यारोपण है, बल्कि देश में किडनी प्रत्यारोपण के मरीज पर किया गया पहला हाथ प्रत्यारोपण है। चिकित्सा विज्ञान में यह एक बहुत ही दुर्लभ और रोमांचक उपलब्धि है। दोनों हाथों का मिलान करनेे के लिए हमें दो हड्डियों, दो धमनियों, 25 टेंडन और 5 नर्व्स को जोड़ना पड़ा। मरीज अब रोजमर्रा के काम करने में अपने प्रत्यारोपित हाथ का उपयोग करने में सक्षम है। उन्हें एक सप्ताह के भीतर छुट्टी दे दी जाएगी।
Patient Gautam Tayal said, “I was devastated at losing my limb at this age. However, seeing Amrita Hospital’s stellar record of conducting hand transplants gave me hope for the future. This hand transplant has gifted me a new lease of life. I am so happy and grateful that God, and Amrita doctors, have given me a second chance to live my life to the full.”
अमृता हॉस्पिटल फ़रीदाबाद में दूसरा हाथ प्रत्यारोपण दिल्ली के रहने वाले 19 वर्षीय युवक देवांश गुप्ता का किया गया। तीन साल पहले एक ट्रेन दुर्घटना में उन्होंने दोनों हाथों और घुटने के नीचे दाहिना पैर खो दिया था। उन्हें जो दोनों हाथ प्रत्यारोपित किये गए वे सूरत के 33 वर्षीय व्यक्ति के थे, जिन्हें फेफड़ों की पुरानी और घातक बीमारी के कारण ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था। उनका परिवार उनकी मृत्यु के तुरंत बाद, उनके हाथों सहित उनके विभिन्न अंगों को दान करने के लिए तुरंत सहमत हो गया, और उसके बाद देवांश की दोनों नए हाथों के लिए की गई प्रार्थना स्वीकार कर ली गई। एक जटिल लॉजिस्टिक प्रक्रिया के तहत हाथों को सूरत से फ़रीदाबाद ले जाया गया।
अमृता हॉस्पिटल फ़रीदाबाद में सेंटर फॉर प्लास्टिक एंड रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी में सीनियर कंसल्टेंट डॉ. अनिल मुरारका ने कहा, ‘‘रोगी के दाहिने हाथ को ऊपरी बांह के स्तर पर और बाएँ हाथ को कोहनी सेे ठीक ऊपर प्रत्यारोपित किया गया था। अंग विच्छेदन का स्तर जितना अधिक होता है, हाथ प्रत्यारोपण उतना ही अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाता है, और ऊपरी बांह के हाथ प्रत्यारोपण में गंभीर तकनीकी समस्याएं होती हैं। अब तक, रोगी में काफी अच्छी प्रगति हुयी है। उसे आजीवन इम्यूनोसप्रेशन लेने की जरूरत होगी ताकि उसका शरीर नए हाथों को अस्वीकार न कर दे। उसे अपने नए हाथों से दिन-प्रतिदिन की गतिविधियाँ करने और पर्याप्त कार्य करने में 6 से 18 महीने के बीच का समय लगेगा। उन्हें एक और साल तक मांसपेशियों में स्ट्रेचिंग सहित गहन फिजियोथेरेपी से गुजरना होगा।’’
मरीज़ देवांश गुप्ता ने कहा, ‘‘जब मैंने इतनी कम उम्र में अपने दोनों हाथ खो दिए, तो मैं सच्चाई का सामना नहीं कर सका। यह एक विनाशकारी क्षति थी जिससे उबरना असंभव था। मुझे लगने लगा कि मेरा जीवन बर्बाद हो गया है। दोनों नये हाथों को पाना मेरे लिए एक सपने के सच होने जैसा लगता है। भगवान ने अंततः मेरी प्रार्थनाओं को सुन लिया और मेरी मदद की। मैं उस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रहा हूं जब मैं अपने हाथों में पहली अनुभूति महसूस करूंगा और अपनी उंगलियां हिला सकूंगा। मैं अमृता हॉस्पिटल के डॉक्टरों को मुझे नया जीवन और नई आशा देने के लिए धन्यवाद देता हूं।
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