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एसकेएम और सीटीयू ने 16 फरवरी को केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी, किसान विरोधी और राष्ट्र विरोधी विनाशकारी नीतियों के खिलाफ देशव्यापी लामबंदी का आह्वान किया

Posted by : pramod goyal on : Sunday 21 January 2024 0 comments
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संयुक्त किसान मोर्चा और केंद्रीय ट्रेड यूनियनों/फेडरेशनों/एसोसिएशनों के संयुक्त मंच ने 24 अगस्त 2023 को नई दिल्ली में श्रमिकों और किसानों के पहले संयुक्त अखिल भारतीय सम्मेलन द्वारा बुलाए गए संयुक्त और स्वतंत्र अभियान और कार्यों की समीक्षा के लिए कई बैठकें कीं।



 
एसकेएम और सीटीयू ने सत्तारूढ़ कॉरपोरेट सांप्रदायिक गठजोड़ के मौजूदा घटनाक्रम पर चिंता व्यक्त की, जिसमें बेशर्मी से राष्ट्रीय संपत्ति और वित्त को मुट्ठी भर निजी कॉरपोरेटों को सौंपा जा रहा है और भारतीय लोकतंत्र के सभी संस्थानों को पंगु बना दिया गया है तथा उन पर कब्जा किया जा रहा है है।
 
यह सरकार समग्र रूप से मेहनतकश लोगों के जीवन और आजीविका पर लगातार बर्बर हमले कर रही है और विभिन्न कानूनों, कार्यकारी आदेशों और नीतिगत अभियानों के माध्यम से आक्रामक रूप से श्रमिक-विरोधी, किसान-विरोधी और जन-विरोधी कदम उठा रही है। यह संवैधानिक रूप से चुनी हुई राज्य सरकारों के अधिकारों को नकार  रही है। यह लोगों के विभिन्न वर्गों के सभी लोकतांत्रिक दावों और असहमति की सभी आवाजों को दबा रही है। यह राजव्यवस्था और संवैधानिक संस्थाओं का सांप्रदायिकरण करने, प्रशासनिक प्राधिकारियों और एजेंसियों का पूरी तरह से दुरुपयोग करने की खतरनाक योजना को जारी रखे हुए है। केंद्र सरकार लगातार मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला कर रही है और यौन उत्पीड़न के पीड़ितों के आरोपी अपराधियों को बेशर्मी से बचा रही है,, जिससे कानून और व्यवस्था पर लोगों का भरोसा कम हो रहा है।
 
हमने देखा है कि श्रमिकों और किसानों के विभिन्न वर्ग और जनता के अन्य वर्ग पहले से ही केंद्र सरकार की विनाशकारी नीतियों के खिलाफ कई मोर्चों पर संघर्ष कर रहे हैं। इस पृष्ठभूमि में एसकेएम और सीटीयू ने लोगों के बीच सघन अभियान और उपरोक्त मांगें पूरी होने तक तीव्र संघर्ष के माध्यम से सांप्रदायिक कॉर्पोरेट गठजोड़ का मुकाबला करने और उसे हराने के लिए एकजुट होकर ऐतिहासिक जिम्मेदारी लेने का संकल्प दोहराया।
इस दिशा में, नवंबर 2020 से आयोजित की जा रही संयुक्त और समन्वित कार्रवाइयों को जारी रखते हुए, केंद्रीय ट्रेड यूनियनों/ फेडरेशनों/एसोसिएशनों और एसकेएम का संयुक्त मंच संयुक्त रूप से जमीनी स्तर पर कार्रवाई कर रहा है।
 
सीटीयू, फेडरेशन/एसोसिएशन 26 जनवरी, 2024 को जिला मुख्यालयों पर ट्रैक्टर/वाहन परेड के लिए एसकेएम द्वारा पहले ही दिए गए आह्वान का समर्थन करते हैं। मजदूर और किसान संयुक्त रूप से हैंडबिल / पैंफलेट वितरित करने, मांग पत्र वितरित करने और संघर्षों में बड़े पैमाने पर भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए भारत भर के सभी गांवों में 10 से 20 जनवरी 2024 तक घर-घर जाकर जन जागरण अभियान चला रहे हैं।
 
ये सभी जन-संपर्क (सामूहिक संपर्क) गतिविधियां कॉर्पोरेट सांप्रदायिक सांठगांठ के साथ अपनाई जा रही श्रमिक-विरोधी, किसान-विरोधी, राष्ट्र-विरोधी नीतियों के खिलाफ देशव्यापी लामबंदी  करने में सहायक होंगी।
 
 
इसलिए-
·       एसकेएम और सीटीयू/फेडरेशनों/एसोसिएशनों ने केंद्र सरकार की मजदूर-विरोधी, किसान-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी नीतियों के खिलाफ 16 फरवरी 2024 को औद्योगिक/क्षेत्रीय हड़ताल और ग्रामीण बंद के साथ-साथ विभिन्न स्तरों पर देशव्यापी बड़े पैमाने पर लामबंदी का आह्वान किया है।*
·       हड़ताल सहित बहुत से सैक्टरों में आंदोलन और  संघर्ष चल रहे हैं। हम उनसे अनुरोध करते हैं कि वे एसकेएम और सीटीयू द्वारा एकजुट होकर अपनाए गए 16 फरवरी के राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम के साथ अपने आंदोलन को समन्वित करें।
·       हम छात्रों, युवाओं, शिक्षकों, महिलाओं, सामाजिक आंदोलनों और कला, संस्कृति, साहित्य के क्षेत्र के सभी समान विचारधारा वाले आंदोलनों से अपील करते हैं कि वे संयुक्त किसान मोर्चा  तथा  सीटीयू/फेडरेशनों/एसोसिएशनों के संयुक्त अभियानों और  16 फरवरी को होने वाले कार्यक्रमों को समर्थन दें।
·       कॉर्पोरेट व सांप्रदायिक गठजोड़ की विनाशकारी, विभाजनकारी और अथारीटेरियन  नीति-शासन का विरोध करने और निर्णायक रूप से हराने का  और उसके स्थान पर श्रमिक-समर्थक, किसान-समर्थक, जन-समर्थक नीतियां लागू करने का आह्वान करता है।
·       गारंटीशुदा खरीद के साथ सभी फसलों के लिए एमएसपी@सी2+50% की मांगअजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करने और उन पर मामला दर्ज करने, ऋणग्रस्तता से मुक्ति के लिए छोटे और मध्यम किसान परिवारों को व्यापक ऋण माफी का आह्वान , श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन 26,000/- रुपये प्रति माह, 4 श्रम संहिताओं को निरस्त करना, आईपीसी/सीआरपीसी में किए गए कठोर संशोधनों को निरस्त करना, मौलिक अधिकार के रूप में रोजगार की गारंटी, रेलवे, रक्षा, बिजली, कोयला, तेल  इस्पात, दूरसंचार, डाक, परिवहन, हवाई अड्डे, बंदरगाह और गोदी, बैंक, बीमा आदि  सहित सार्वजनिक उपक्रमों का कोई निजीकरण नहीं, शिक्षा और स्वास्थ्य का निजीकरण नहीं, नौकरियों का कोई अनुबंधीकरण नहीं, निश्चित अवधि के रोजगार को खत्म करना, प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 200 दिनों के काम और 600/- रुपए दैनिक वेतन के साथ मनरेगा को मजबूत करना, पुरानी पेंशन योजना को बहाल करना, संगठित व असंगठित अर्थव्यवस्था में सभी को पेंशन और सामाजिक सुरक्षा, नए शुरू किए गए बीएनएस की धारा 104 को खत्म करना, निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड की तर्ज पर असंगठित श्रमिकों की सभी श्रेणियों के लिए कल्याण बोर्ड, अन्य बातों के अलावा एल एआरआर अधिनियम 2013 (भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013) को लागू करें। उपरोक्त सभी मांगों के पूरा होने तक संघर्ष जारी रखें और तेज करें। 
·       लोगों की आजीविका के वास्तविक मुद्दों को राष्ट्रीय एजेंडे में वापस लाने के लिए जघन्य धार्मिक कट्टरता और अंधराष्ट्रवाद का मुकाबला करें।
·       भारत के संविधान में निहित लोकतंत्र, फैडरैलिजम, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद के मूल सिद्धांतों की रक्षा करें।
 

हम श्रमिकों, किसानों, कृषि श्रमिकों, महिलाओं, युवाओं, छात्रों, शिक्षकों, अधिवक्ताओं, नागरिक समाज और अन्य सभी वर्गों से आह्वान करते हैं कि वे जन-विरोधी, राष्ट्र-विरोधी, अथारीटेरियन नीति-शासन  का विरोध करने और उसे हराने के लिए इस व्यापक जन कार्रवाई में शामिल हों। 

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