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फरीदाबाद,27 दिसंबर।
केन्द्र सरकार के पुरानी पेंशन बहाली और आठवें वेतन आयोग के गठन से इंकार से गुस्साए कर्मचारी राष्ट्रव्यापी आंदोलन करेंगे। जिसका निर्णय 28-30 दिसंबर को कोलकाता में होने वाली अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ की जरनल काउंसिल की बैठक में लिया जाएगा। यह जानकारी देते हुए महासंघ के अध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि जरनल काउंसिल की बैठक में सभी राज्यों से करीब 600 डेलीगेट्स भाग लेंगे। उन्होंने बताया कि इस महत्वपूर्ण बैठक को केन्द्रीय कर्मचारियों, बैंक, रेलवे, बीएसएनएल, पोस्टल एम्पलाइज आदि अखिल भारतीय कर्मचारी फेडरेशन के वरिष्ठ नेता भी संबोधित करेंगे और संयुक्त राष्ट्रव्यापी आंदोलन का फैसला करेंगे।
अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि पांच में से तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में मिली जीत से उत्साहित मोदी सरकार ने पुरानी पेंशन बहाली और आठवें पे कमीशन के गठन से साफ तौर पर मना कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह दोनों मुद्दे और ठेका संविदा कर्मियों की रेगुलराइजेशन, निजीकरण पर रोक, खाली पड़े पदों को भरने, 18 महीने के बकाया डीए-डीआर की बहाली,एनईपी की वापसी और ट्रेड यूनियन एवं लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा कर्मचारियों के कोर इश्यू है। लेकिन केन्द्र एवं राज्य सरकारें इनकी लगातार अनदेखी कर नव उदारवादी आर्थिक नीतियों को देश में आक्रामक तरीके से लागू कर रही है। जिसके चलते प्राकृतिक संसाधनों और मजदूरों एवं किसानों के खून पसीने तथा टैक्स पेयर्स के पैसों से खड़े किए गए सार्वजनिक क्षेत्र को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है। जिससे जन सेवाए आम आदमी की पहुंच से बाहर होती जा रही है। उन्होंने कहा कि कारपोरेट घरानों के लाखों करोड़ के कर्ज़ को राइट आफ किया जा रहा है और उन्हें टैक्सों में भी लाखों करोड़ रुपए की राहत प्रदान की जा रही है।दूसरी तरफ खाने पीने की चीजों पर भी जीएसटी लागू कर दिया है। किसानों के कर्ज को माफ नहीं किया जा रहा है और न ही एमएसपी की कानूनी गारंटी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने स्थाई रोजगार के चरित्र को बदल दिया गया है और सेना तक में चार साल के लिए नौजवानों की नियुक्ति की जा रही है। स्थाई प्रकृति के काम पर ठेके पर नौजवानों को लगाया जा रहा है, जहां न तो पूरा वेतन मिल रहा है और ना ही सेवा सुरक्षा मिल रही है। उन्होंने कहा कि आज बेरोजगारी चरम पर है और दूसरी तरफ केन्द्र एवं राज्य सरकारों व पीएसयू में करीब एक करोड़ रिक्त पदों को स्थाई भर्ती से भर बेरोजगारों को रोजगार नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्री ने संसद में एक सवाल के जबाब में साफ कर दिया है कि केन्द्र सरकार पुरानी पेंशन बहाली नहीं करेगी और पीएफआरडीए में कर्मचारियों एवं राज्य सरकारों के जमा राशि को भी वापस नहीं किया जाएगा। इसके बाद राजस्थान व छत्तीसगढ़ में पुनः एनपीएस लागू होने का खतना बढ़ गया है। क्योंकि वहां सत्ता परिवर्तन होकर भाजपा सत्तारूढ़ हुई है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय वित्त सचिव ने भी एक बयान जारी कर दो टूक कहा है केन्द्र सरकार , कर्मचारियों एवं पेंशनर्स के लिए आठवां वेतन आयोग गठन नहीं करेगी। इससे केन्द्र एवं राज्य कर्मियों और पेंशन को तगड़ा झटका लगा है। उन्होंने कहा कि सरकार का दावा है कि हर महीने रिकार्ड जीएसटी कलेक्शन हो रहा है। लेकिन इसके बावजूद कर्मचारियों एवं पेंशनर्स के फ्रिज किए 18 महीने के डीए-डीआर की रिलीज नहीं किया जा रहा है। जिसको लेकर देशभर के कर्मचारियों एवं पेंशनर्स में भारी गुस्सा है। उन्होंने कहा कि कोलकाता में होने वाली जरनल काउंसिल की बैठक में केन्द्र एवं राज्य कर्मियों के संगठनों के प्रतिनिधि गहनता से सरकार के रवैए पर विचार विमर्श कर राष्ट्रव्यापी आंदोलन की घोषणा करेंगे।
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