फरीदाबाद। श्री धार्मिक लीला कमेटी के निर्देशक हरीश चन्द्र आज़ाद ने बताया कि कल रात रामलीला के मंच पर सीता स्वंयवर दिखाया गया। उन्होंने बताया कि आज के मंचन का शुभारम्भ कांग्रेसी नेता विजय प्रताप ने ज्योति प्रज्वलित करके किया। विजय प्रताप प्रभूराम की लीला पर आस्था के चलते दर्शकों में से आ रही सीता की पालकी के साथ भी चले।
निर्देशक आज़ाद ने बताया कि आज प्रथम दृश्य में मुनि विश्वामित्र को राजा जनक के रावजी ने सीता स्वयंवर का निमंत्रण दिया और विश्वामित्र राम व लक्ष्मन के साथ जनकपुरी जाते हैं। अगले दृश्य में राजा जनक के दरबार में रावजी की भूमिका निभा रहे मोहित छाबड़ा सभी राजाओं को सीता स्वंयवर का प्रण सुनाते हैं कि जो कोई राजा इस धनुष का चिल्ला चढ़ायेगा वही सीता का पति कहलायेगा। बहुत राजा जोर लगाते हैं लेकिन कोई धनुष को नही हिला सकता। फिर लंका नरेश रावण आता है जहाँ लक्ष्मन के साथ उनके क्रोधित संवाद होते है दर्शक इसी दृश्य के लिये बेसब्री से इंतजार करते हैं जहाँ रावण के अभिनय में तेजिन्द्र खरबंदा ने अपने अटूट अभिनय की छाप छोड़ी तो वही लक्ष्मन का किरदार निभाते हुए राजू खरबंदा ने दर्शकों की खूब तालियाँ बटोरी।
जब कोई राजा धनुष नही तोड़ सका तो राजा जनक का रोल करते हुए रोहित खरबंदा ने भावुक होकर सभी क्षत्रियों को अपने शब्दों से अपमानित किता तो लक्ष्मन क्रोधित हुए तब मुनि विश्वामित्र के कहने पर प्रभुराम का किरदार निभा रहे जितेश गेरा ने यह संवाद उठाने के लिये जिसके विवश हर शूर होता है, उसी का देखिये कैसे चकनाचूर होता है कहते हुए धनुष तोड़ा और सीता बनी रिद्वी खरबंदा ने उन्हें वरमाला पहनाई। धनुष टूटने की गर्जन से परशुराम का किरदार निभा रहे परवीन बत्तरा जनक दरबार में क्रोधित हुए जहाँ लक्ष्मन से उनकी तीखे संवादों की बहस हुई। अंत में परशुराम ने माना कि राम अवतार हो गया है। उसके बाद रामलीला के मंच से ही सभी दर्शकों के साथ सीता की विदाई के साथ पूरे एम ब्लॉक में राम बारात निकाली गई।
आज दर्शकों की वोटिंग से सबसे बेहतरीन अभिनय का प्रथम पुरस्कार लक्ष्मन बने राजू खरबंदा ने जीता तो दूसरा पुरस्कार रावण बने तेजिन्द्र खरबंदा व जनक बने रोहित खरबंदा ने जीता।
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