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फरीदाबाद 7 अक्टूबर सेंटर ऑफ़ इंडियन ट्रेड यूनियन एवं अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन के आह्वान पर कल रविवार को करनाल के हुड्डा ग्राउंड में होने वाली रैली ऐतिहासिक होगी। यह जानकारी सीटू जिला कमेटी के सेक्रेटरी वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने दी। उन्होंने कहा कि इस रैली को सफल बनाने के लिए सीटू जिला कमेटी फरीदाबाद ने पूरी ताकत झोंक दी। इस रैली में स्टार वायर वर्कर्स यूनियन, वाईएमसीए कर्मचारी यूनियन, आशा वर्कर यूनियन, ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन, आंगनवाड़ी वर्कर्स और हेल्पर यूनियन, ऑटो रिक्शा ड्राइवर यूनियन, भारत गेयर वर्कर्स, हरियाणा टैक्स प्रिंट ओवरसीज वर्कर्स यूनियन, एवरी कामगार यूनियन, मिड डे मील वर्कर यूनियन, गैरियर आटो वर्कर यूनियन, चंदा फैक्ट्री वर्कर यूनियन, पायन परसीजन वर्कर यूनियन के सैकड़ो वर्कर भाग लेंगे। सीटू जिला कमेटी के नेताओं ने रै
ली की तैयारी के लिए फैक्ट्री में जाकर गेटों पर मीटिंगों को संबोधित किया। परियोजना कर्मियों को भी इस रैली में शामिल होने के लिए उनकी बैठकें आयोजित करके तैयार किया गया है।इस रैली में भाग लेने के लिए कर्मचारियों और फैक्ट्री वर्करों में भारी उत्साह है। रैली को सफल बनाने के लिए ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन के प्रधान महेंद्र सिंह, स्टार वायर के प्रधान लालाराम, वाईएमसीए के प्रधान लेखराम, आशा वर्कर की प्रधान हेमलता, आंगनबाड़ी की प्रधान देवेंद्ररी, हरियाणा टैक्स प्रिंट ओवरसीज के प्रधान सुरेंद्र मिश्रा, बीजीएल के प्रधान रवि ओएमपी के प्रधान अरविंद कुमार, बोनी पॉलीमर लिमिटेड के प्रधान धर्मेंद्र दुबे, गैरियर ऑटो लिमिटेड के जितेंद्र, एवरी कामगार के प्रधान राम तीरथ, मिड डे मील वर्कर की प्रधान कमलेश और पायन परसीजन के प्रधान वीरेंद्र शर्मा ने गेट मीटिंगों को संबोधित करते हुए सरकार पर चारों श्रम संहिताओं को पारित करके इन्हें कारखाने के मालिकों के हक में बनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अधिकांश कारखानों में श्रम कानूनों की परी पालना नहीं होती है। मजदूरों का भारी शोषण हो रहा है। प्रबंधक किसी भी प्रकार की दुर्घटना होने पर ठेके के मजदूरों को मुआवजा देने से सीधे तौर पर इंकार कर देते हैं। अब काम के घंटे निर्धारित नहीं है। पहले 8 घंटे काम लिया जाता था। अब कोई समय सीमा नहीं है। सरकार आंदोलन की अनदेखी कर रही है। सीटू के प्रधान निरंतर पाराशर और आशा वर्कर यूनियन की जिला सचिव सुधा ने बताया कि उनकी हड़ताल को आज 2 महीने हो गए हैं। उन्होंने 8 अगस्त से हड़ताल शुरू की थी। लेकिन सरकार बातचीत करने के बावजूद भी मांगों को लागू नहीं करना चाहती है। आशा वर्करों के मानदेय में पिछले 5 साल से कोई वृद्धि नहीं हुई है। जबकि महंगाई लगातार बढ़ रही है। आशा वर्करों पर स्वास्थ्य विभाग की तमाम परियोजनाओं को लागू करने का दबाव तो बनाया जाता है। ऑनलाइन काम करने के लिए बाध्य किया जा रहा है। जबकि अधिकांश वर्करों के पास स्मार्टफोन नहीं है। इनको चार्ज करने के लिए सरकार से कोई भत्ता भी नहीं मिलता है। कल की रैली में सभी विभागों के कच्चे और परियोजनाओं में काम करने वाले तमाम वर्करों को पक्का करने, न्यूनतम वेतन 26000 रुपया लागू करने, ठेका प्रथा व निजीकरण पर रोक लगाने, मनरेगा में 200 दिन काम और ₹600 की मजदूरी देने निर्माण श्रमिक बोर्ड के तहत पंजीकरण करने और सभी सुविधाएं देने, सभी मजदूरों को आवास शिक्षा, स्वास्थ्य, और खाद्य सुरक्षा की गारंटी प्रदान करने, मजदूरों और किसानों के कर्ज माफ करने, और जरूरतमंद लोगों को सस्ता राशन प्रदान करने, बिजली बिल 2022 को रद्द करने, सभी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने, खेत मजदूर के लिए कल्याण बोर्ड का गठन करने, परिवार पहचान पत्र के नाम पर सुविधाओं को छिन्ननें के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया जाएगा।
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