फरीदाबाद। पंजाबी नेता हरीश चन्द्र आज़ाद ने पंजाबी समाज का वोट बैंक कांग्रेस से खिसककर भाजपा में जाने का कारण बताते हुए कहा कि भूपेन्द्र सिंह हुडा ने अपनी ताकत दिखाते हुए कांग्रेस हाईकमान को प्रेशर पॉलिटिक्स में झुकाकर चापलुसी नेता उदयभान को कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस पर कब्जा कर लिया लेकिन पंजाबी वोटर को नज़र अंदाज़ करके कांग्रेस व खुद
को सत्ता से दूर कर दिया और हुडा ने साबित कर दिया कि वह सबसे कांग्रेस के सबसे बड़े वोट बैंक पंजाबी समाज के दुश्मन हैं।
आज़ाद ने कहा कि 2005 में भूपंन्द्र हुडा के मुख्यमंत्री बनने के समय विधानसभा में पंजाबी समाज के बहुत नेता कांग्रेस से विद्यायक थे जैसे ए सी चौधरी, लक्ष्मन दास अरोड़ा, बलबीर पाल शाह, देवराज देवान, धर्मवीर गाबा, सुभाष बत्तरा, सुरेन्द्र मदान, लीला किशन, अमीरचन्द मक्कड़ व कई अन्य और इन नेताओं के कारण पंजाबी समाज कांग्रेस के साथ हमेशा खड़ा रहा और तब तक कांग्रेस में पंजाबी नेताओं व पंजाबी समाज को मान-सम्मान मिलता रहा।
भूपेन्द्र सिंह हुडा के मुख्यमंत्री बनते ही पंजाबी नेताओं की कांग्रेस में दुर्गति शुरू हो गई। हुडा पंजाबी नेताओं को सत्ता से दूर करने के कार्य करते रहे इसलिये उन्होंने सारे कांग्रेसी पंजाबी नेताओं को सत्ता से दूर करने का प्लान बनाना शुरू कर दिया और पंजाबी बहुल्य सीटों पर गैर कांग्रेसी नेताओं को आगे लाना आरम्भ कर दिया जैसे सिरसा से सबसे कदवार पंजाबी नेता लक्ष्मनदास अरोड़ा की जगह गोपाल कांडा को मंत्री बनाकर आगे किया और फरीदाबाद में हरियाणा के मजबूत पंजाबी नेता ए सी चौधरी की जगह महेन्द्र प्रताप को आगे किया, फतेहाबाद से लीला किशन की जगह प्रहलाद सिंह गिलाखेड़ा को आगे किया, हांसी से अमीरचन्द मक्कड़ की जगह सुभाष गोयल को आगे किया, धर्मवीर गाबा को पूरी तरह खत्म करके सुखबीर खटारीया को महत्व दिया, सोनीपत से देवराज दिवान, अनिल ठक्कर, श्यामदास मखीजा को सत्ता से दूर करके सुरेन्द्र पवार को आगे किया, पानीपत से बलबीर पाल शाह की दुर्गती करी इतना ही नहीं हुडा ने जींद, करनाल, अम्बाला, यमुनानगर और फरीदाबद ओल्ड, पलवल की सीट पर भी किसी पंजाबी नेता को उभरने नहीं दिया।
सच्चाई तो यह है कि भूपेन्द्र सिंह हुडा के मुख्यमंत्री बनने से पहले पंजाबी नेताओं को कांग्रेस में बहुत मान-सम्मान मिलता था और यही वजह है कि बलबीर पाल शाह व हरपाल सिंह जैसे पंजाबी नेता कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी बने। लेकिन भपूेन्द्र हुडा ने कांग्रेस मे किसी पंजाबी नेता को कार्यकारीणी अध्यक्ष तक नहीं बनाया और पंजाबी नेताओं को दोयम दर्जें का महत्व तक नहीं दिया। यही कारण रहा पंजाबी वोट का भाजपा में जाने का और भापजा ने न सिर्फ पंजाबी मुख्यमंत्री बनाया बल्कि 11 पंजाबी नेताओं का अिक्ट दिया जिसमें से 10 जीत कर आये।
हरीश चन्द्र आज़ाद न कहा कि पंजाबी वोटरों के पाला बदलते ही सत्ता की चाबी भाजपा के हाथ आ गई और उन्हीं पंजाबी वोटरों के दम पर भाजपा ने 2014 और 2019 में हरियाणा में सत्ता पर काबिज़ हुई। लेकिन कांग्रेस को आज भी समझ नहीं आ रहा कि पंजाबी नेताओं और पंजाबी वोटरों का हश्यिे पर लाकर वह सत्ता से दूर होकर स्वयं हश्यिे पर आ गये हैं और इसके लिये सिर्फ और सिर्फ भूपेन्द्र हुडा जिम्मेदार हैं इसलिये कांग्रेस हाई कमान को खुद हरियाणा की कमान सम्भालते हुए पंजाबी नेताओं और पंजाबी वोटरस को मान=सम्मान देकर वापिस कांग्रेस में लाने का प्रयास करना चाहिये और इसके लिये कांग्रेस बहुल्य सीटों पर कांग्रेसी नेताओं को टिकट देना चाहिये नहीं तो कांग्रेस हरियणा में आती हुई सत्ता को हाथों से फिसलते हुए देखती रहे।
हरीश चन्द्र आज़ाद ने कहा कि पंजाबियों के प्रति नकारात्मक सोच रखने वाले हुडा जैसे पंजाबी नेताओं से दूरी बनाकर हरियाणा में खुली सोच वाले पंजाबी नेताओं को आगे लाये जो पंजाबी समाज के वोटों की कद्र जानते हों और सर्वजाती को आगे लेकर चलने की सोच रखते हो न कि सिर्फ एक जाति के सहारे सत्ता हासिल करने की सोच रखते हों। मैं हरीर चन्द्र आज़ाद ठोककर कहता हूँ कि बिना पंजाबी समाज को मान-सम्मान दिये वह हरियारणा मं सत्ता हासिल नहीं कर सकते और हुडा के साथ तो बिल्कुल भी नहीं। क्योंकि भूपेन्द्र सिहं हुडा तो इस समय पंजाबी समाज के सबसे बड़े दुश्मन हैं और पंजाबी समाज किसी भी कारण हुडा का साथ नहीं देने वाल इसलिये अब यह कांग्रेस के हाई कमान को समझना है कि हरियाणा में फिर से सत्ता हासिल करनी है या नहीं लेकिन ज्ञात रहे इस बार पंजाबी समाज की अन्देखी कांग्रसे को न सिर्फ सत्ता से दूर करेगी बल्कि कांग्रेस के हाई कमान को भूपेन्द्र सिंह हुडा के सामने असहाय समझेगी और वेसाखी के सहारे चलने वाली पार्टी के साथ कभी भी पंजाबी समाज नहीं हो सकता। 2024 में हरियाणा की सत्ता किसी भी कीमत पर कांग्रेस को भूपेन्द्र सिंह हुडा के नेतृत्व में नहीं मिल सकती।
1991 से 1996 की भजनलाल सरकार में पंजाबी समाज के आधा दर्जन से ज्यादा मंत्री व कई चेयरमैन थे। अम्बाल केन्ट से ब्रिज आन्नद, पानीपत से बलबीर पाल शाह, कैथल से सुरेन्द्र मदान, रोहतक से सुभाष बत्तरा, सोनिपत से श्याम मखीजा, फरीदाबाद से ए सी चौधरी, गुडग़ांवां से धर्मवीर गाबा, हांसी से अमीरचन्द मक्कड़, फतेहाबाद से लीला कृष्ण और सिरसा से लक्ष्मन दास अरोड़ा जैसे कई पंजाबी नेता जीते और कई मंत्री बने इसलिये भजनलाल को पंजाबी समर्थक कहते थे और तब पंजाबी वोटर कांग्रेस के साथ थे।
इसी तरह 2005 में कांग्रेस का तूफान बनने मे पंजाबी समाज का अहम योगदान रहा इसलिये पंजाबी वोटरस ने पानीपत से बलबीर पाल शाह, रोहतक से शादीलाल बत्तरा, सोनीपत से अनिल ठाकुर, फरीदाबाद से ए सी चौधरी, गुडग़ांवा से धर्मवीर गाबा, हांसी से अमीरचन्द मक्कड़ और सिरसा से लक्ष्मन दास अरोड़ा पंजाबी विधायक बने जिसकी बजह से कांग्रेस ने राज किया लेकिन उसके बाद भूपेन्द्र सिंह हुडा कि पंजाबी विरोधी नितीयों ने कांग्रेस को सत्ता से दूर कर दिया यदि कांग्रेस हाई-कमान अब भी हरियाणा में कांग्रेस का सत्ता से दूर जाने का कारण नहीं समझ रहा तो उनको मूर्खो की श्रेणी मे रखना ही जरूरी है और कांग्रेस अगर पंजाबी वोटर के रूख और भूपेन्द्र सिंह हूडा द्वारा किये गये अपमान को नहीं समझ रही तो हरियाणा में सत्ता को रेत कर ढेर ही समझे।
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