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फरीदाबाद, 4 अक्टूबर - जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के संचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा पत्रकारिता के पीजी विद्यार्थियों के लिए दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। भविष्य के पत्रकारों और मीडिया पेशेवरों के रूप में विद्यार्थियों के कौशल व दृष्टिकोण को बढ़ाने में सहायक होगी। "सिनेमा में संकेत और अर्थ" विषय पर आयोजित कार्यशाला में सिनेमा निर्माण की बारीकियां भी सिखाई गई।
कार्यशाला की संयोजिका सहायक प्राचार्य डॉ तरुणा नरूला ने बताया कि फिल्म विशेषज्ञ दीप्ति खुराना के साथ हमारी सिनेमा वर्कशॉप का पहला दिन एक ऐसी सिनेमाई यात्रा थी जो "सिनेमा में संकेत और अर्थ" विषय को लेकर आयोजित की गई। जे सी बोस विश्वविद्यालय के संचार एवं मीडिया विभाग के एमएजेएमसी के छात्रों ने एक समृद्ध सिनेमाई यात्रा का अहसास किया। उक्त शैक्षिक कार्यक्रम में इतालवी नव यथार्थवाद की जटिलताओं और फ्रांसीसी न्यू वेव के नवाचार की अनुभूति कराई गई। कार्यशाला काफी ज्ञानवर्धक रही जिससे छात्रों को सिनेमा की भाषा की व्यापक समझ प्राप्त हुई।कार्यशाला के शुभारंभ से पूर्व संचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी विभाग के अध्यक्ष डॉ पवन सिंह ने मुख्य वक्ता फिल्म विशेषज्ञ दीप्ति खुराना का स्वागत करते हुए किया उन्हें स्मृति स्वरूप पुस्तक भेंट की। डॉ पवन सिंह ने कहा कि
ऐसे आयोजन से पत्रकारिता के विद्यार्थियों को फिल्म निर्माण संबंधित व्यावहारिक ज्ञान प्राप्ति में भविष्य के पत्रकारों और मीडिया पेशेवरों के रूप में उनके कौशल और दृष्टिकोण को बढ़ाएगा। कार्यशाला के शुभारंभ में छात्रों को एक नए लेंस के माध्यम से सिनेमा को देखने के लिए प्रेरित और सुसज्जित करने के साथ हुआ, जो हर फ्रेम में चुने गए संकेतों और अर्थों की सराहना करने के ज्ञान से परिपूर्ण थे।
कार्यशाला में मीडिया विद्यार्थियों को कला और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति दोनों के रूप में सिनेमा का आलोचनात्मक विश्लेषण और सराहना करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। सुश्री दीप्ति खुराना की विशेषज्ञता और आकर्षक शिक्षण शैली ने यह सुनिश्चित किया कि छात्र विषय वस्तु की गहरी समझ लेकर निकले।
सभी प्रतिभागियों ने अपने ज्ञान का विस्तार करने और सिनेमा के विविध पहलुओं पर सार्थक चर्चा में शामिल हुए। उन्होंने शामिल विषयों की व्यावहारिक प्रासंगिकता की भी सराहना की, जो निस्संदेह पत्रकारिता और जनसंचार के क्षेत्र में उनके भविष्य के प्रयासों को समृद्ध करेगी।
"सिनेमा में संकेत और अर्थ" पर यह कार्यशाला छात्रों को एक समग्र शिक्षा प्रदान करने के लिए आसपास की दुनिया का विश्लेषण और व्याख्या करने के लिए उपकरणों के साथ सशक्त बनाती है। दीप्ति खुराना ने कार्यशाला के दौरान पत्रकारिता के स्नातकोत्तर के विद्यार्थियों को सिनेमा के विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं में गहराई से उतरने का मौका दिया।कार्यशाला के अंतर्गत सुश्री दीप्ति खुराना ने सिनेमा के बहुमुखी आयामों की खोज के माध्यम से छात्रों का कुशलतापूर्वक मार्गदर्शन किया। छात्र कई महत्वपूर्ण विषयों पर गहन चर्चा और इंटरैक्टिव सत्र में शामिल हुए जिनमे सिनेमा में उत्त्तर आधुनिकतावादी आंदोलन पर गहराई से चर्चा की, जिसमें कहानी कहने, कथा संरचना और वास्तविकता और कल्पना के बीच की सीमाओं के धुंधला होने पर इसके प्रभाव पर जोर दिया गया। छात्रों ने लैंगिक भूमिकाओं के चित्रण का विश्लेषण किया और समझा कि कैसे सिनेमा लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और रूढ़िवादिता को चुनौती देने का एक मंच रहा है।
कार्यशाला में प्रतिभागियों ने इतालवी नव यथार्थवाद और फ्रांसीसी न्यू वेव के अग्रदूतों से लेकर समकालीन लेखकों तक, सिनेमा की समृद्ध परंपरा को समझा।
जे सी बोस रेडियो रूम में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला के समापन पर संयोजक सहायक प्राचार्य डॉ तरुणा नरूला एवं सहायक प्राचार्य डॉ भरत ने फिल्म विशेषज्ञ दीप्ति खुराना का विशेष आभार व्यक्त किया।
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